नई दिल्लीः  पाकिस्तानी टीवी न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान कुछ सवालों में ऐसे उलझे कि अपने मुल्क की सबसे बड़ी कमजोरी का खुलासा कर दिया. बता दिया कि पाकिस्तान ना सिर्फ घरेलू मोर्चे पर जम्हूरियत में तंग है, ISI और फौज ही यहां की असली सरकार है,...बल्कि ये भी खुलासा कर दिया कि पाकिस्तान चीन का गुलाम हो चुका है.


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पाकिस्तान की अहम संस्थाओं पर चीन का रिमोट कंट्रोल चलता है. और बिना ड्रैगन की इजाज़त के वो कुछ नहीं कर सकते. यहां तक कि अरबों डॉलर के सीपेक जैसे प्रोजेक्ट का चेयरमैन भी वो चीन की इजाज़त से ही बनाते हैं. चीन की गिरफ्त का ही असर है कि पाकिस्तान की इमरान सरकार ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने और उसे राज्य का दर्जा देने का फैसला किया लेकिन इमरान का ये दांव भी उल्टा पड़ गया.


चीन का इशारा, पाक की कश्मकश
चीन के इशारे पर पाकिस्तान की इमरान सरकार गिलगिट-बाल्टिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. चुनाव में धांधली कर वहां की सत्ता हड़पना इसका एक हिस्सा है. मगर कश्मीर का ये हिस्सा किसी सूरत में पाकिस्तान के साथ नहीं रहना चाहता. इसलिए पाक सरकार तरह तरह की साजिशों में लगी रहती है.



ताकि उसका शिकंजा मजबूत हो जाए. पाकिस्तान के लिए ये जीने मरने से कम नहीं क्योंकि इस इलाके से ही सीपेक प्रोजेक्ट की शुरुआत होती है. चीन को डर है कि भारत अपने इस खोए हिस्से को पाने की कवायद शुरु कर देगा तो उसकी अरबों की परियोजना का क्या होगा? चीन ने प्रेशर डाला और डायरेक्टर चीन के कहने पर एक्टर इमरान ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव करवा डाला.


ना खुदा ही मिला...न विसाल-ए-सनम
इमरान की सारी साजिश धरी की धरी तब रह गई जब तमाम सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के बाद भी उनकी पार्टी PTI और सहयोगी पार्टी को मिलाकर भी यहां की 24 सदस्यी विधानसभा में सिर्फ 10 सीटें ही मिल पाईं। इमरान की हालत यहां कैसी पतली हुई उसकी बानगी देखिए,...गिलगित में 2009 में विधानसभा की स्थापना के बाद से हमेशा इस्लामाबाद पर काबिज पार्टी ही जीतती आई थी,...



लेकिन तब से ऐसा पहली बार हुआ है कि इस्लामाबाद में काबिज इमरान की पार्टी PTI यहां का चुनाव नहीं जीत पाई. जबकि गिलगित बाल्टिस्तान में 15 नवंबर को हुए चुनाव से पहले और बाद में इमरान पर कई गंभीर आरोप लगे. विपक्षी पार्टियों ने धांधली का आरोप लगा कर जबरदस्त विरोध जताया. जो पहले से ही बगावत कर रही अवाम के लिए आग में घी डालने जैसा था.


इमरान कर रहे खूब मशक्कत
इमरान ने गिलगित बाल्टिस्तान में अपनी सरकार बनाने और इसे राज्य का दर्जा देने के लिए एंड़ी चोटी का जोर लगा दिया. क्योंकि 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे सीपेक की शुरुआत इसी इलाक़े से हुई है, जो अरब सागर के ग्वादर तक फैला हुआ है. इस इलाके में चीन की कई कंपनियां इंफ्रास्टक्चर को डेवलप कर रही हैं. इनके कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए किया जा सकता है. 


भारत ने किया विरोध
भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के पाकिस्तानी प्लान का शुरू से विरोध किया. हिन्दुस्तान ने साफ़ कर दिया कि सैन्य कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थिति को बदलने के लिये पाकिस्तान के तरफ़ से की गई किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह शुरू से ही अमान्य है. जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के तहत आने वाला समस्त क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग रहा है और है तथा आगे भी रहेगा.



अब चीन के चक्कर में इमरान की गिलगित साजिश भी नाकाम रही है. पहले से ही आज़ादी की मांग कर रहे इस क्षेत्र के लोग अब चुनाव में धांधली की शिकायतों के बाद और नाराज़ है. इधर हिन्दुस्तान जल्द ही अपने इस खोए हुए क्षेत्र से पाकिस्तानी कब्जा हटाने की कवायद शुरु करने वाला है.


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