गोटबाया राजपक्षे की होने वाली है श्रीलंका वापसी? देश को संकट में छोड़ भाग गए थे पूर्व राष्ट्रपति
आधिकारिक सूत्र ने ये दावा किया है कि शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका लौटेंगे. 13 जुलाई को राजपक्षे देश छोड़कर थाईलैंड भाग गए थे.
नई दिल्ली: श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे शनिवार को थाईलैंड से स्वदेश लौटेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की. राजपक्षे श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच उनके तत्काल इस्तीफे की मांग को लेकर महीनों से जारी विरोध-प्रदर्शनों के नौ जुलाई को हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे.
शनिवार सुबह श्रीलंका लौटेंगे राजपक्षे
उस समय प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राष्ट्रपति आवास सहित कई अन्य सरकारी इमारतों पर धावा बोल दिया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राजपक्षे शनिवार सुबह श्रीलंका लौटेंगे. हालांकि, उनकी उड़ान के बारे में अभी कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी है.
यह भी स्पष्ट नहीं है कि वह कोलंबो के पूर्वी उपनगर मिरिहाना स्थित अपने निजी आवास में ठहरेंगे या नहीं. पूर्व राष्ट्रपति के रूप में राजपक्षे एक सरकारी बंगले और अन्य सुविधाओं के हकदार हैं. न्यूज फर्स्ट की वेबसाइट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उनके छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे की संभावित वापसी की सूचना मिली है.
राजनीति में शामिल होंगे या नहीं पूर्व राष्ट्रपति
महिंदा राजपक्षे ने यह भी कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वापसी के बाद पूर्व राष्ट्रपति राजनीति में शामिल होंगे या नहीं. गोटबाया राजपक्षे पहले श्रीलंका वायुसेना के विमान के जरिये कोलंबो से मालदीव भागे थे. मालदीव से वह सिंगापुर रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेजा था. बाद में राजपक्षे ने अस्थायी आश्रय की तलाश में थाईलैंड के लिए उड़ान भरी थी.
थाईलैंड के विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनई ने कहा है कि राजपक्षे 90 दिन तक देश में रह सकते हैं, क्योंकि वह अब भी एक राजनयिक पासपोर्ट धारक हैं. हालांकि, थाईलैंड में राजपक्षे के कथित तौर पर सुरक्षाकर्मियों के घेरे में एक होटल तक सीमित रहने की भी खबरें हैं.
छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे
राजपक्षे के अपदस्थ होने के बाद श्रीलंका की संसद ने तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति और छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय संसद में सबसे बड़े दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन हासिल था.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने राजपक्षे के नेतृत्व वाली एसएलपीपी के अनुरोध पर उनकी स्वदेश वापसी के इंतजाम किए हैं. एसएलपीपी के महासचिव सागर करियावासम ने 19 अगस्त को कहा था कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के साथ हुई बैठक में इस संबंध में अनुरोध किया गया था.
करियावासम ने बताया था कि उन्होंने राष्ट्रपति से राजपक्षे की वापसी की व्यवस्था करने और उन्हें कड़ी सुरक्षा एवं आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की अपील की है. पूर्व सैन्य अधिकारी राजपक्षे नवंबर 2019 में राष्ट्रपति के पद पर काबिज हुए थे.
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