नई दिल्ली: The Red Sea: वो समंदर, जहां से दुनिया का 40 फीसदी व्यापार होता है. यहां से गुजरने वाले जहाजों पर कई देशों की अर्थव्यवस्था टिकी है. फिर अचानक से आतंकी इन जहाजों पर हमला शुरू कर देते हैं, इन्हें लूटते हैं, इन पर कब्जा करते हैं. पूरी दुनिया के लिए यह चिंता का सबब बन जाता है. कई देशों की अर्थव्यवस्था चरमराने की ओर बढ़ने लगती है. यह किसी हॉलीवुड फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि असल में हुई एक बड़ी दिक्कत है.


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यमन का आतंकी संगठन हूती लगातार उग्र होता जा रहा है. इजरायल हमास के बीच हो रहे युद्ध में हूती विद्रोही हमास के पक्ष में हैं. वे इजरायल की कमर तोड़ने के लिए लगातार उसके कार्गो शिप्स को टारगेट कर रहे हैं. साथ ही ये इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से अटैक कर रहे हैं. हूती विद्रोहियों ने  'द रेड सी' यानी लाल सागर में भी तबाही मचा दी है. इससे दुनिया का पूरा व्यापार प्रभावित हो सकता है.


व्यापार के लिए क्यों जरूरी है लाल सागर?
लाल सागर हिंद महासागर और भूमध्य सागर के बीच की कड़ी है. इसी में 'Gate of Tears' स्थित है. यह एक संकीर्ण जलमार्ग है, जिससे दुनिया का 40 प्रतिशत व्यापार होता है. यहीं से गुजरने वाले जहाज एक देश का सामान दूसरे देश पहुंचाते हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आयात-निर्यात का यह सबसे जरूरी मार्ग है. यदि इस मार्ग पर कोई अवरुद्ध पैदा होता है तो यह दुनिया के तमाम देशों को प्रभावित करेगा. 


लाल सागर के अलावा दूसरा रास्ता नहीं?
लाल सागर से होकर गुजरने वाला रास्ता यूरोप और एशिया के बीच सबसे जरूरी और छोटा मार्ग है. यदि अफ्रीका में बाकी रूट से ट्रेड करना पड़े तो रास्ता काफी लंबा हो जाता है, हजारों मील बढ़ जाते हैं. इससे कार्गो डिलीवरी में भी देरी होती है. ईंधन के खर्च में भी इजाफा होता है. आप यूं समझ सकते हैं कि लाल सागर को छोड़कर किसी दूसरे रास्ते से ट्रेड करने पर लागत और समय, दोनों काफी बढ़ जाते हैं. इसका सीधा असर देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा.


भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल बाहर से आयात करता है. यदि लाल सागर का मसला आगे बढ़ता है और हूती विद्रोहियों को नहीं रोका जाता है, तो देश की इकोनॉमी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. तेल कंपनियों को पेट्रोल और डीजल महंगा करना पड़ेगा. पेट्रोल-डीजल के महंगे होने से फल-सब्जियों, बस किराया समेत कई चीजों के दाम बढ़ेंगे. देश में वैसे ही पेट्रोल-डीजल महंगा है, इससे आम आदमी की जेब पर और प्रभाव पड़ेगा. माल की ढुलाई भी महंगी हो जाएगी.  


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