नई दिल्ली: Anneliese Michel: अक्सर हमें भूत-प्रेत से जुड़ी कहानियां सुनने को मिलती हैं. ये जितनी डरावनी होती हैं, उतनी ही हैरान करने वाली भी होती हैं. ऐसी ही कहानी एनिलेस मिशेल की है, जो जर्मनी के बवारिया शहर में जन्मी थीं. वे इसाई परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उनका परिवार धर्म का प्रचार-प्रसार करता था. एनिलेस ने शुरू से ही अपने परिवार को देखा, उन्होंने भी यही सोचा कि वह भी बड़ी होकर यही काम करेगी.


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एनिलेस को टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी बीमारी हुई
लेकिन फिर एनिलेस को टेम्पोरल लोब एपिलेप्सी नाम की बीमारी हो गई. तब एनिलेस महज 16 साल की ही थीं. इस बीमारी में एनिलेस ने अपनी याददाश्त खो दी. साथ ही शरीर पर भी कंट्रोल नहीं रहा. एनिलेस मिशेल के घरवालों ने उसे अपने धर्मगुरु को भी दिखाया, लेकिन वह ठीक नहीं हो सकी. इसके बाद उसे डॉक्टरों को दिखाया, 5 साल तक इलाज चला. लेकिन वह ठीक नहीं हो पाई.


67 बार झाड़-फूंक करवाया
इस दौरान एनिलेस को पैरालैटिक अटैक आया, मिर्गी की दौरे आने लगे. वह ये मानने लगी थी कि उस पर भूत चढ़े हुए हैं. वह मकड़ियों को खाने लगी थी. जैसे कुत्ते भौंकते हैं, वैसी आवाज निकालने लगी थी. एनिलेस को राक्षसी चेहरे दिखने लगे थे. करीब 67 बार उसका झाड़-फूंक करवाया, लेकिन तनिक भी फर्क नहीं पड़ा. 23 साल की उम्र में भूख से एनिलेस की मौत हो गई. 


23 साल की उम्र में हुई मौत
23 साल की उम्र में भूख से एनिलेस की मौत हो गई. मौत के समय एनिलेस का वजन 66 पाउंड यानी करीब 29 किलो था. एनिलेस के जीवन पर द एक्सोरसिज्म ऑफ एमिली रोज समेत करीब तीन फिल्में बनी हैं.


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