नई दिल्ली: पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(PLA) के नाम से पहचानी जाने वाली चीन की फौज बेहद जालिम है. वह अपने से ताकतवर दुश्मन के सामने तो दुम दबाकर भाग जाती है. लेकिन कमजोर नागरिकों पर अत्याचार करने में पीछे नहीं रहती. सबसे बुरी बात तो ये है कि चीन की सेना(China army) अपने राजनैतिक आकाओं के आदेश पर अपने ही नागरिकों पर जुल्म करती है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सैकड़ों उइगुरों का कत्ल चीन की सेना ने किया
अमेरिकी एनजीओ की वेबसाइट Bitter winter ने एक पूर्व चीनी सैनिक का इंटरव्यू छापा है. जिसमें उस सिपाही ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इस इंटरव्यू में उसने बताया है कि किस तरह से चीनी सेना सरकार के आदेश पर लोगों की हत्या कर देती है. उसने ऐसी कई कहानियां बताई हैं. जिसमें में उसने सैकड़ों उइगुर मुसलमानों को दर्दनाक तरीके से मार डालने की जानकारी दी. इस चीनी फौजी ने बताया कि पहले उइगुरों को ड्रोन कैमरा विमानों के जरिए पहचाना जाता है. उसके बाद मिलिटरी एक्सरसाइज (Military Exercise) के नाम पर चीनी सैनिक उन्हें गोलियों से भून देते हैं. इस काम के लिए चीन के राजनैतिक नेतृत्व ने आदेश दिया. उस पूर्व सैनिक ने कहा कि ये बुरे सपने जैसा है, जो मुझे हर समय डराता रहता है. ऐसे ही खौफ में बहुत सारे लोग जी रहे हैं. यह चीन की कड़वी हकीकत है. 


तिब्बतियों का किया गया नस्ली सफाया
इसी इंटरव्यू में चीनी सैनिक ने बताया कि कैसे साल 2011 में चीन की सेना ने तिब्बत में वहां के स्थानीय निवासियों के नस्ली सफाए का बड़ा अभियान चलाया.  ये सभी सैनिक चीन के पूर्वी राज्य शैनडोंग के थे और इन्हें देश के पश्चिमी हिस्से में नरसंहार के काम में झोंक दिया गया. इस दौरान सैनिकों को साफ निर्देश दिए गए थे कि तिब्बती भिक्षु चाहे कहीं भी छिपे हों उनको ढूंढों और खत्म कर दो. इन भिक्षुओं को मारने के लिए चीन की सरकार ने बाकायदा इनामी धनराशि भी रखी थी. ऐसे में चीनी सैनिकों के पास तिब्बतियों को मार डालने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बच रहा था. क्योंकि अगर वो तिब्बतियों को मारने से मना कर देते तो उन्हें भी मार दिया जाता. 


भूकंप के दौरान भी अमानवीयता
चीन की सरकार की अमानवीयता का आलम ये है कि वह अपने नागरिकों की मदद करने में भी नफा नुकसान देखती है. चीन के सिचुआन प्रांत में साल 2008 में भूकंप आया था. जिससे भयानक तबाही हुई. लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपनी सेना को आदेश दिए कि वे सिर्फ जवान और मजबूत लोगों को ही बचाएं,  बच्चों-बूढ़ों को नहीं. क्योंकि चीन की वामपंथी सरकार बच्चों और बूढ़ों को देश के लिए बोझ मानती थी. अमेरिकी वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में इस चीनी सैनिक ने बताया कि 'सिर्फ 18 से 40 की उम्र के लोग बचाए जा रहे थे. इसके अलावा हम लोगों की तरफ देख भी नहीं रहे थे, बल्कि सीधे ट्रकों में लोड कर रहे थे. ऐसे में जो घायल अभी जिंदा होते, वो ट्रक में मर जाते रहे थे.


चीन की वामपंथी सरकार की क्रूरता की यह महज बानगी भर है. इसके अलावा वहां के नागरिकों पर कितने जुल्म ढाए गए होंगे. इस बात की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है. क्योंकि जुल्मो सितम की वह कहानियां शायद हमेशा के लिए दफन कर दी गई हैं. चीन के सैनिक इस तरह के अमानवीय कार्य करना नहीं चाहते. लेकिन उन्हें इस बात के लिए मजबूर किया जाता है. लेकिन ऐसे इंसानियत विरोधी कामों को करने के बाद उनकी आत्मा उन्हें हमेशा के लिए कचोटती है. 


चीन की यही क्रूर वामपंथी सरकार अब अपनी फौज को भारत के खिलाफ उतारने की तैयारी कर रही है. जिसे देखते हुए भारतीय सेना भी सन्नद्ध हो गई है. लगता है चीन की जालिम सरकार को मिटाने का समय आ गया है. 


ये भी पढ़ें--भारत और चीन के बीच कभी भी शुरु हो सकता है युद्ध, रक्षा मंत्री आज करेंगे अहम बैठक