Lebanan Story: इजरायल फिलिस्तीन युद्ध अब लेबनान और ईरान तक पहुंच गया है. इजारायली हवाई हमले में लेबनान स्थित चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत हो गई थी. इसके बाद बीते दिन इजरायली डीफेंस फोर्स (IDF) ने लेबनान में घुसकर हमले शुरू कर दिए. इसके बाद मंगलवार रात ईरान ने जवाबी हमला में इजारायल पर सैकड़ों रॉकेट दागे. लेकिन इन सब घटनाक्रम के बीच लोग ये जानना चाहते हैं कि कैसे लेबनान मुस्लिम बहुल देश बन गया, जबकि यह तो ईसाई धर्म को मानने वालों का देश कहा जाता था? 


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ईसाई बहुल से मुस्लिम बहुल कैसे बना लेबनान?
लेबनान में 1932 से कोई आधिकारिक जनगणना नहीं हुई है. अमेरिकी सरकार के वेबसाइट पर उपलब्ध आकड़ों के अनुसार लेबनान में 67.6 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और 32 प्रतिशत ईसाई. 1920 में लेबनान के आबादी में 75 से 80 प्रतिशत हिस्सेदारी ईसाइयों की थी. लेकिन फ्रांस से आजाद होने के बाद यहां के डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आया. 1920 से 2020 के बीच महज 100 सालों से भी कम समय में, लेबनान ईसाई बहुल देश से मुस्लिम बहुल देश बन गया. कुछ रिपोर्टस के अनुसार यहां ईसाइयों की जनसंख्या महज 15 प्रतिशत रह गई है.


लेबनान में मुस्लिन आबादी बढ़ने के पीछे एक नहीं बल्की कई कारण हैं. दरअसल, 1975 से 1990 तक लेबनान गृहयुद्ध की चपेट में रहा. इस दौरान यहां 1 लाख से अधिक ईसाई मारे गए और 10 लाख से ज्यादा पलायन कर गए. 1975 में यहां की आबादी में 50 प्रतिशत ईसाई और 37 प्रतिशत मुसलमान थे. 1990 में लेबनान में मुसलमान 53 प्रतिशत और ईसाई 47 प्रतिशत रह गए. एक ओर लेबनान से ईसाई पलायन कर रहे थे. वहीं दूसरी ओर फिलिस्तीन और सीरिया से मुस्लिम शरणार्थी आते रहे. 


पेरिस से बना लाशों का शहर
लेबनान की राजधानी बेरूत को एक समय पर 'पूर्व का पेरिस' कहा जाता था. हर साल यहां हजारों पर्यटक घुमने आते थे. 1975 से पहले तक यह खूबसूरत और जीवंत शहर था. लेकिन आज लाशों और खंडहरों का शहर बन चुका है. आज यहां कोई जाना नहीं चाहता. लोग शहर छोड़ भाग रहे हैं, बेरूत आज चरमपंथीयों का अड्डा बन चुका है. इजारायल के हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्ला के मौत के बाद यहां के हालात बद से बदतर बन गए है.


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