अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुस्लिम भाई कहने वाले देशों में कैसे बढ़ी तल्खी? जानें ईरान-पाकिस्तान जिगरी दोस्त से कैसे बने जानी दुश्मन
यह बात जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान और ईरान एक-दूसरे का भाई होने का दावा करते थे. और तो और दोनों देशों के बीच कई मैत्री संधियां भी हुई हैं. इसके अलावा 1965 और 1971 की भारत-पाक लड़ाई में ईरान पूरी तरह से पाकिस्तान के समर्थन में था. ऐसे में अब सवाल आता है कि दोनों देशों के बीच इतने अच्छे संबंध होते हुए आज एक-दूसरे के दुश्मन क्यों बने हुए हैं. आखिर वो कौन सी वजह है, जो दोनों देशों के रिश्ते में खटास पैदा की. आइए जानते हैं.
नई दिल्लीः पाकिस्तान और ईरान के रिश्तों में आई तल्खी एक बार फिर गहराती जा रही है. मंगलवार 16 जनवरी को ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जैश अल-अदल के ठिकानों पर हमला कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान की ओर से बयान आया था कि पाकिस्तान भी इस हमले पर जवाबी कार्रवाई का हक रखता है. हुआ भी कुछ ऐसा ही है. पाकिस्तानी मीडिया दावा कर रहा है कि जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने ईरान में सक्रिय आतंकी समूह BLA (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) के ठिकानों पर हमला किया है.
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भाई होने का करते थे दावा
खैर ये रही मौजूदा समय की बात. लेकिन आपको यह बात जानकर आश्चर्य होगा कि कभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देश एक-दूसरे का भाई होने का दावा करते थे. और तो और दोनों देशों के बीच कई मैत्री संधियां भी हुई हैं. इसके अलावा 1965 और 1971 की भारत-पाक लड़ाई में ईरान पूरी तरह से पाकिस्तान के समर्थन में था. पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 को जब भारत से अलग हुआ था तो पाकिस्तान को एक देश के रूप में मान्यता देने वाला पहला देश ईरान ही था. यहां तक की पाकिस्तान ने अपना पहला दूतावास भी ईरान में ही खोला था.
1979 में ईरान बना शिया मुस्लिम स्टेट
ऐसे में अब सवाल आता है कि दोनों देशों के बीच इतने अच्छे संबंध होते हुए आज एक-दूसरे के दुश्मन क्यों बने हुए हैं. आखिर वो कौन सी वजह है, जो दोनों देशों के रिश्ते में खटास पैदा की. आइए जानते हैं. वैसे तो एक्सपर्ट पाकिस्तान-ईरान के रिश्तों में आई खटास के पीछे कई वजह मानते हैं, लेकिन एक वजह जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है वर्ष 1979 में ईरान का खुद को शिया मुस्लिम स्टेट बनाना. कहा जाता है कि इसके बाद से ही दोनों देश के रिश्तों में दरार पड़ने लग गई है.
1990 में तेजी से फैली शिया और सुन्नी मुस्लिमों की कलह
साल 1990 में पाकिस्तान में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच की कलह तेजी से फैलने लगी. इस दौरान पाकिस्तान ने ईरान के ऊपर पाकिस्तानी शियाओं को भड़काने का आरोप लगाया. इसके अलावा इसी साल लाहौर में ईरानी राजनयिक सादिक गंजी की हत्या कर दी गई. इसके बाद दोनों देशों की दुश्मनी गहराती गई. ये दोनों देश अफगानिस्तान को लेकर भी अपना अलग नजरिया रखते हैं. पाकिस्तान जहां अफगानिस्तान में तालिबानियों का समर्थन करता है, तो वहीं ईरान अफगानिस्तान के पूर्व सरकार का पक्ष लेता है. अफगानिस्तान को लेकर दोनों की परस्पर विरोधी नीतियां भी दुश्मनी की मुख्य वजहों में एक हैं.
आतंकी संगठनों को प्रश्रय देने का लगाते हैं आरोप
इसके अलावा दोनों देश एक-दूसरे के ऊपर अपने खिलाफ आतंकी संगठनों को प्रश्रय देने का भी आरोप लगाते रहे हैं. साल 2014 में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-उल-अदल ने ईरान के पांच सैनिकों का अपहरण कर लिया था. बाद में जब ईरान ने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी तो 4 रक्षकों को आतंकियों ने वापस कर दिया. वहीं, एक को मार दिया. इससे दोनों देशों के बीच का विवाद और गहराता गया. इसके अलावा ईरान को ये शक था कि उसका पुराना दुश्मन सऊदी अरब पाकिस्तान की सीमा से उस पर हमला करने वाले आतंकी संगठन जैश-अल-अदल आतंकी गुट को शह दे रहा है.
जानें क्या है शिया-सुन्नी का विवाद?
दरअसल, शिया और सुन्नी दोनों मुस्लिम धर्म से ही जुड़े समुदाय हैं, लेकिन उनकी मान्यताओं और विचारधाराओं में फर्क है. सुन्नी मुसलमानों को कट्टरपंथियों के रूप में देखा जाता है, तो वहीं शिया मुस्लिमों को नरमपंथी के रूप में. इन दोनों के बीच का विवाद सदियों पुराना है. कहा जाता है कि सातवीं शताब्दी में शिया मुसलमानों ने पैगंबर मोहम्मद के पोते हुसैन की हत्या कर दी थी. इसके बाद शिया और सुन्नी समुदाय में दूरियां बढ़ने लगीं. ईरान जहां शिया बहुल देश है. वहीं, पाकिस्तान और सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश हैं.
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