काठमांडू: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार बेहद विवादित और जहरीला बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 20 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव में अगर उनकी पार्टी की जीत होती है तो देश के उन हिस्सों पर दोबारा दावा किया जाएगा जिसे भारत अपना बताता है. 


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क्या कहा है ओली ने
पश्चिमी नेपाल में भारत की सीमा के नजदीक धारचुला जिले में अपनी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के राष्ट्रव्यापी चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए ओली ने यह बात कही. पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘हम कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को वापस लाएंगे.’’


क्या है भारत नेपाल सीमा विवाद
आपको बता दें कि भारत और नेपाल सीमा विवाद नया नहीं है. इससे पहले भी 2020 में भी नेपाल अपने नक्शे में भारत के कई इलाकों को दिखाकर अपना बता चुका है. तब नेपाल की सरकार ने कहा था कि महाकाली (शारदा) नदी का स्रोत दरअसल लिम्पियाधुरा ही है जो फ़िलहाल भारत के उत्तराखंड का हिस्सा है. इससे पहले नेपाल ने कहा था कि भारत ने जिस सड़क का निर्माण 'नेपाल की जमीन' पर किया है, वो भूमि भारत को लीज़ पर तो दी जा सकती है लेकिन उस पर दावा नहीं छोड़ा जा सकता है.नेपाल सरकार का कहना है कि भारत ने उसके लिपुलेख इलाक़े में 22 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया है.


दो सालों तक चले ब्रिटेन-नेपाल युद्ध के बाद समझौता हुआ था जिसके तहत महाकाली नदी के पश्चिमी इलाक़े की जीती हुई ज़मीन पर नेपाल को अपना कब्ज़ा छोड़ना पड़ा था. नेपाल सरकार का कहना है कि सुगौली संधि में जिस महाकाली नदी का उल्लेख है, उसमें उसका पश्चिमी हिस्सा भी शामिल है, जिस पर भारत ने अपना अधिकार जमा रखा है.  दोनों देशों की सरहद ज़्यादातर खुली हुई और आड़ी-तिरछी भी है. अब सीमा पर चौकसी के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ी है. महाकाली (शारदा) और गंडक (नारायणी) नदियां सीमा तय करती है, लेकिन मॉनसून में आने वाली बाढ़ से तस्वीर बदल जाती है. 

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