IMF ने बताया बुरे दौर में है भारतीय अर्थव्यवस्था, सरकार उठाए ठोस कदम
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF ने एक ऐसा बयान जारी किया है कि जिसे जानकर कोई भी भारतीय खुश नहीं होगा. आईएमएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरी सुस्ती के दौर से गुजर रही है. मोदी सरकार को तुरंत कोई नीतिगत कदम उठाने चाहिए ताकि इसका निपटारा हो सके.
नई दिल्ली: IMF ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत का आर्थिक विकास जिस तेजी से बाहर आया, उतनी ही तेजी से लाखों लोग गरीबी से बाहर भी आए, लेकिन इस साल की पहली छमाही यानी आधे सालों में कुछ वजहों से आर्थिक वृद्धि काफी कमजोर रही.
IMF ने भारत का आउटलुक घटने का जोखिम बताते हुए कहा कि मैक्रोइकोनॉमिक मैनेजमेंट में लगातार बढ़ोत्तरी होते रहनी जरूरी है. नई सरकार मजबूत है, इसलिए मौका भी है कि संयुक्त और सतत् विकास के लिए सुधारों की प्रक्रियाओं को तेज किया जाए.
एक फीसदी की दर से बढ़ी है निजी घरेलू मांग
सितंबर महीने की तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ घटकर 4.5 फीसदी पर आ गई, जो बीते 6 साल में सबसे कम है. IMF एशिया एंड पैसिफिक डिपार्टमेंट के मिशन चीफ फॉर इंडिया रानिल साल्गेडो ने कहा कि वृद्धि के आंकड़ों से यह मालूम हुआ कि इस महीने की तिमाही में निजी घरेलू मांग सिर्फ 1 फीसदी के दर से बढ़ी. ऐसे संकेत साफ दिख रहे हैं कि दिसंबर तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियां भी काफी प्रभावित ही रहेंगी.
साल्गेडो ने कहा कर्ज देने के नियमों में सख्ती का पड़ा है बुरा प्रभाव
साल्गेडो की मानें तो नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां नकदी संकट, कर्ज देने के नियमों में सख्ती और ग्रामीण इलाकों में आय कम होने की वजह से उनकी निजी खपत पर बुरा प्रभाव पड़ा है. इसमें जीएसटी जैसे कुछ अहम और उचित सुधारों के अचानक से लागू करने के कारण भी दिक्कतें हुईं हों, इसकी भी आशंका है. साल्गेडो ने और कहा कि आईएमएफ का जनवरी में जारी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पिछले अनुमान के जितना भी नहीं रहेगा. उससे काफी कमा होगा. आपको बता दें कि IMF ने अक्टूबर में देश की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी तक ला दिया था.
कम हुआ है वित्तीय घाटा
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक दूसरे मोर्चों पर भारत का प्रदर्शन सराहनीय रहा है. जैसे कि विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है, वित्तीय घाटा कमत्तर भी हुआ है. इतना ही नहीं महंगाई दर में भी हाल के दिनों में काफी इजाफा हुआ है. जबकि पिछले कुछ सालों में यह नियंत्रण में था. साल्गेडो का कहना है कि भारत की आर्थिक सुस्ती आईएमएफ के लिए चौंकाने वाली है, बावजूद उसके इसे आर्थिक संकट नहीं कहा जा सकता.