नई दिल्ली: आम के नाम आतंकिस्तान फिर बदनाम हो गया है. दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवाद की फैक्ट्री के नाम से मशहूर पाकिस्तान के इंटरनेशनल बेइज्जती एक बार फिर हुई है. एक बार फिर मियां इमरान के डिप्लोमैसी को झन्नाटेदार तमाचा लगा है. एक बार फिर इस्लामिक देश पाकिस्तान की बदनीयत रूह झटका लगा है. पाकिस्तान का स्वीट प्वाइज़न यानी मीठा जहर डीकोड हुआ है.


इमरान की करतूत को समझिए


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दरअसल, इमरान खान ने दुनिया को दिए आतंक के तीखेपन मिटाने के लिए दुनिया के करीब 32 देशों को चौसा आम भेजा. लेकिन इसमें से ज्यादातर देशों ने पाकिस्तान के आम को बैरंग लौटा दिया. आखिर क्या वजह थी कि मियां इमरान और पाकिस्तान की इंटरनेशल बेइज्जती एक बार फिर हुई? इसके पीछे वजह है पाकिस्तान की नीयत का बेपर्दा होना.



कौन नहीं जानता कि दुनिया का सबसे फटेहाल और बर्बाद देश पाकिस्तान और उसके पीएम इमरान दुनिया भर के देशों से अपनी आर्थिक तंगहाली को दूर करने का गुहार लगा चुके हैं. कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान अपने आतंकी कारस्तानियों की वजह से दुनिया में अलग थलग पड़ चुका है.


लिहाजा इस्लामिक आतंकवाद के ज़हर को मियां इमरान ने पाकिस्तानी आम से दूर करने की जुगत भिड़ाई थी पर वो भी फुस्स हो गई.


पाकिस्तान का 'स्वीट प्वाइज़न' डीकोड


पाकिस्तान ने अपनी खराब 'इमेज' सुधारने के लिए मैंगो डिप्लोमेसी की थी इसके तहत इमरान ने 32 देशों को मैंगो डिप्लोमेसी के नाम पर आम भेजे थे, लेकिन अमेरिका-चीन और सऊदी जैसे देशों ने आम लेने से मना कर दिया.



अब ये तो होना ही था. भई दुनिया बखूबी जानती है कि चौसा आम भेजकर मियां इमरान डिप्लोमेसी की चौसर पर कौन सी चाल चल रहे थे. एक बार आम की मिठास में फंसो, तो तपाक से पैसे मांग लें. वैसे भी चीन और सऊदी ने कर्ज लौटाने का अल्टीमेटम मियां इमरान को दे रखा है.


पाकिस्तानी संसद में इमरान के खिलाफ नारेबाजी


पाकिस्तान के संसद में नारे लग रहे हैं कि डॉन्की राजा की सरकार नहीं चलेगी. बताने की जरूरत नहीं कि किन हालातों में चल रहा है पाकिस्तान और उसके पीएम मियां इमरान.. अब जरा समझिए कि मैंगे डिप्लोमेसी के पीछे मियां इमरान की रणनीति क्या थी.


मियां इमरान फिर बेइज्जत क्यों हुए?


दरअसल पाकिस्तान की आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुका है अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए पाकिस्तान ने 1.2 बिलियन डॉलर यानी 87,56,58,00,000 रुपये का नया कर्ज लिया है वहीं सऊदी अरब और UAE पाक को दिया कर्ज वापस मांग रहे हैं. चीन ने भी पाकिस्तान को कर्ज़ देने से मना कर दिया है. पाकिस्तान का कुल कर्ज 11.5 फीसदी सालाना की दर से बढ़कर 35.8 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गया है.


एक तरफ आतंकियों की लहलहाती फसल.. जो बर्बाद होनी तय है, तो दूसरी तरफ आम की फसल.. इस बार मियां इमरान ने आतंकी फसल को छोड़कर आम की फसल से कर्ज़ देने वाले देशों को साधने की कोशिश की लेकिन वो बेकार गई.


सच तो ये है कि इस्लामिक देश पाकिस्तान के पानी इतना जहर है कि आम तो आम इंसान भी जहरीला हो चुका है. आतंकवाद की फैक्ट्री को चलाने वाले पाकिस्तान ने दुनिया को कुछ दिया है तो इस्लामिक आतंकी और उनकी नफरती और खूनी विचारधारा.


पाकिस्तान का 'इस्लामिक' आतंकवाद


इसी विचाराधारा ने पाकिस्तान में हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों का जीना दूभर कर रखा है. ईश निंदा के झूठे आरोपों में गैर मुस्लिमों-शियाओं पर हमले होते हैं. बलूचिस्तान को तालीबानी आतंकियों का चारागाह बना दिया है.



आमों की पेटियां ईरान, गल्फ देशों, तुर्की, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और रूस को भी भेजा जाना था. लेकिन मियां इमरान की पहली बोहनी खराब हो चुकी है.


सूत्रों ने ये भी कहा है कि आम भेजने वाली लिस्ट में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन को भी शामिल किया गया था, लेकिन पेरिस ने पाकिस्तान को इस मामले में कोई जवाब तक नहीं दिया. हालांकि पाकिस्तान सफाई ये दे रहा है कि कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से आम बैंरग लौटे हैं.


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हकीकत ये है अमेरिका-चीन-यूरोपीय देश जानते हैं कि इमरान की सारी कोशिश पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट से निकालने और कर्ज मांगने की है. जबकि सऊदी अरब तय कर बैठा है भिखारी से जितनी दूरी रखो उतना ही बेहतर...


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