नई दिल्ली.  रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर बड़ी खबर है ये जो बताती है कि भारत ने रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-वी का देश में बड़े पैमाने पर अध्ययन हेतु प्रस्तावित ट्रायल की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. कुछ माह पहले ही रूस ने कोरोना वैक्सीन बनाने और दुनिया में सबसे पहली कोरोना वैक्सीन का दावा किया था. ये दूसरी बात है कि दुनिया के कुछ वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने इस पर कुछ सवाल खड़े किये थे.


 सीडीएससीओ ने किया अस्वीकार


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सीडीएससीओ अर्थात सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इस रूसी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज लिमिटेड के भारत में रूसी वैक्सीन का असर जानने के लिए बड़े पैमाने पर ट्रायल करने के बजाये भारत की इस ड्रग एजेंसी ने डॉ रेड्डी को वैक्सीन का छोटे स्तर पर ट्रायल पहले करने को कहा है. एजेंसी के विशेषज्ञ पैनल ने अपने तथ्यों में पाया कि भारत के बाहर इस वैक्सीन का शुरुआती डेटा और स्टडी छोटे पैमाने पर चल रही है तथा भारत के साझेदार के पास इससे संबंधित जानकारी नहीं है. 


रूस की योजना को लगा झटका 


भारत के इस फैसले से रूस की योजना को झटका लगता है.  स्पुतनिक-वी वैक्सीन को शुरू करने की रूस की शुरूआती कोशिश को झटका लगा है. दरअसल रूस की योजना है कि स्पुतनिक वी वैक्सीन का ट्रायल को किसी ऐसे ऐसे देश में अप्रूवल मिले जहां कोरोना के नए केसों की संख्या दुनिया में बहुत अधिक हो. अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत आने वाले सप्ताहों में  कोरोना संक्रमण के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है और दुनिया में नंबर वन कोरोना संक्रमित देश बन सकता है.


स्पुतनिक और डॉक्टर रेड्डी आये साथ 


हाल ही में जानकारी सामने आई है कि रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन की मार्केटिंग करने वाली आरडीआईएफ (रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड) और डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज लिमिटेड के बीच समझौता हुआ है जिसके अंतर्गत कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल और वितरण को लेकर एक अहम समझौता हुआ है.


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