Indus Waters Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली नदी सिंधु पर हुए जल समझौते को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को 90 दिन का नोटिस जारी किया है. सितंबर 1960 में हुए सिंधु जल संधि समझौते में संसोधन के लिये भारत ने कई बार पाकिस्तान को तलब किया लेकिन जब उसकी ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो मजबूरन भारत को नोटिस जारी करना पड़ा है. 


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भारत ने पाकिस्तान को दी 90 दिन की मोहलत


उल्लेखनीय है कि भारत सिंधु जल समझौते में बदलाव चाहता है लेकिन पाकिस्तान लगातार इसे टाल रहा है और मनमानी कर रहा है, इसका असर संधि पर पड़ रहा है. पाकिस्तान भारत से संधि को लेकर बात करने के बजाय बार-बार वर्ल्ड बैंक के पास पहुंच रहा है, इसको लेकर भारत ने पाकिस्तान को IWT के उल्लंघन (मटेरियल ब्रीच) को लेकर नोटिस जारी किया है और इसे सुधारने के लिए 90 दिनों में सरकार को समझौता करने का मौका दिया है.


न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार पाकिस्तान के बार-बार कहने पर विश्व बैंक ने हाल ही में न्यूट्रल एक्सपर्ट और कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन प्रोसेस की कार्रवाई शुरू की हैं जबकि सिंधु जल समझौते के अनुसार दोनों चीजें एक-साथ नहीं हो सकती. भारत ने पहली बार सिंधु जल समझौते में संशोधन की मांग की है. भारत ने कई बार इस मुद्दे पर पाकिस्तान से बात करने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान ने हर बार इंकार कर दिया. भारत ने साल 2017 से 2022 के बीच 5 बार इस मुद्दे को परमानेंट इंडस कमीशन में उठाया लेकिन पाकिस्तान के बात टालने से इसका हल नहीं निकल सका.


जानें क्या है सिंधु जल समझौता


आपको बता दें कि सिंधु जल समझौता पाने के बंटवारे की वो व्यवस्था है जिसके तहत ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम की 6 नदियों को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आयूब खान ने करांची में हस्ताक्षर किये थे और इसकी मध्यस्थता वर्ल्ड बैंक ने की थी.इन नदियों के कुल भारत का हिस्सा 3.3 करोड़ एकड़ फीट का है जो कि 20 प्रतिशत है, जबकि पश्चिम की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को पाकिस्तान को दिया गया है. इस दौरान भारत के पास इन नदियों के पानी को खेती, घरेलू काम और हाईड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के लिये भी इस्तेमाल कर सकता है.


वर्ल्ड बैंक के चलते खतरे में पड़ सकता है समझौता


हालांकि पाकिस्तान ने भारत के किशनगंगा और रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किये थे और साल 2015 में इसकी जांच के लिये एक न्यूट्रल एक्सपर्ट की नियुक्ति की मांग की थी. लेकिन साल 2016 में पाकिस्तान ने इस मांग को वापस लेकर कोर्ट ऑफ आरबिट्रेशन का रुख किया और इस मामले पर तुरंत फैसला लेने की मांग भी की.पाकिस्तान की ये हरकत इंडस वैली ट्रीट के आर्टिकल 9 के खिलाफ है. भारत ने इस मुद्दे को लेकर एक अलट न्यूट्रल एक्सपर्ट को भेजने की मांग की थी लेकिन विश्वबैंक ने समानांतर कार्रवाई करने की मांग को ठुकरा दिया. लेकिन अब जब वर्ल्ड बैंक ने इस पर कार्रवाई करने का फैसला किया है तो इससे सिंधु जल समझौता खतरे में पड़ सकता है.


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