पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही महंगाई, 14 फीसदी तक बढ़े खाने-पीने की वस्तुओं के दाम
खाने-पीने के सामानों की बढ़ी कीमतों का असर ना केवल विकासशील देशों में जबकि विकसित देशों में भी देखने को मिल रहा है. दुनिया भर में आसमान छूती महंगाई के बीच लोगों को सबसे ज्यादा परेशान खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें कर रही हैं.
नई दिल्ली. पूरी दुनिया के लोगों को इस वक्त तेजी से बढ़ रही महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा चिंता खाने-पीने के सामानों की बढ़ती कीमतों की वजह से है. वर्तमान समय में दुनिया के कई सारे देशों को खाने-पीने के सामानों की बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ रहा है.
विकसित देशों में भी बुरे हैं हालात
खाने-पीने के सामानों की बढ़ी कीमतों का असर ना केवल विकासशील देशों में जबकि विकसित देशों में भी देखने को मिल रहा है. दुनिया भर में आसमान छूती महंगाई के बीच लोगों को सबसे ज्यादा परेशान खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें कर रही हैं. विकासशील देशों के अलावा सिंगापुर जैसी उन्नत अर्थव्यवस्था वाला देश भी इसकी मार से अछूता नहीं है.
कई देश लगा रहे हैं निर्यात पर पाबंदी
घरेलू कीमतों को काबू में करने के लिए कई देशों ने खाद्य निर्यात पर पाबंदी लगा दी है. मलेशिया ने पिछले महीने जिंदा ब्रॉइलर चिकन के निर्यात पर रोक लगा दी है. मलेशिया से बड़ी संख्या में पोल्ट्री का आयात करने वाला सिंगापुर भी इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. तेल से लेकर चिकन तक की कीमतें बढ़ने से खानपान कारोबार से जुड़े प्रतिष्ठानों को भी दाम बढ़ाने पड़े हैं.
खाद्य जरूरतों में कटौती को मजबूर हैं लोग
तेल से लेकर चिकन तक की कीमतें बढ़ने से खानपान कारोबार से जुड़े प्रतिष्ठानों को भी दाम बढ़ाने पड़े हैं. इस वजह से लोगों को खानपान की चीजों के लिए 10-20 फीसदी तक ज्यादा दाम चुकाना पड़ रहा है. उपभोक्ताओं को समान मात्रा की वस्तु के लिए या तो ज्यादा रकम देनी पड़ रही है या फिर अपने खानपान में कटौती करनी पड़ रही है. लेबनान में संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम लोगों को भोजन खरीदने के लिए नकद दे रहा है.
14 फीसदी तक बढ़ी हैं कीमतें
आर्थिक अनुसंधान एजेंसी कैपिटल इकोनॉमिक्स के मुताबिक उभरते बाजारों में खाद्य वस्तुओं की कीमतें इस वर्ष करीब 14 फीसदी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सात फीसदी से अधिक बढ़ी हैं. एजेंसी ने अनुमान जताया है कि अधिक मुद्रास्फीति के कारण विकसित बाजारों में इस साल और अगले साल भी खान-पान की वस्तुओं पर परिवारों को अतिरिक्त सात अरब डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. विश्व खाद्य कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र की चार अन्य एजेंसियों की वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वर्ष 2.3 अरब लोगों को गंभीर या मध्यम स्तर की भूखमरी का सामना करना पड़ रहा है.
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