नई दिल्ली. अगर दुनिया की महाशक्ति चीन जो अब दुनिया में खलनायक के तौर पर बदनाम हो चुकी है, उस पर अगर इस मांग पर कार्रवाई संभव हो सके तो चीन को अपने षड्यंत्र के लिए कुछ सीमा तक दंड मिल सकेगा और संक्रमण से अब तक मारे गए साठ हज़ार लोगों को भी कुछ हद तक इन्साफ भी मिल सकेगा. पर वास्तव में क्या ऐसा हो सकेगा?


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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से की अपील
ये अपील की है लंदन की इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट ने और अपील हुई है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से. इस अपील में काउंसिल ने संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि चीन पर ''मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध करने के लिए कड़ा अर्थ दण्ड लगाया जाए. काउंसिल ने साफ़ साफ़ शब्दों में चीन पर आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस महामारी मूल रूप से बीजिंग की साजिश है और इसका मकसद चीन को महाशक्ति बनाने का है.



दुनिया में आई मंदी का जिम्मेदार चीन
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ ज्यूरिस्ट के प्रेसीडेन्ट ने कोरोना से हुए वैश्विक नुकसान की मिसाल दी. आईसीजे चीफ आदिश सी. अग्रवाल ने कहा कि चीन ने जानबूझ कार वायरस को फैलने नहीं रोका और इस कारण सारी दुनिया में मंदी आ गई और दुनिया को खरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके अतिरिक्त भारत में और दुनिया के बाकी कोरोना ग्रस्त हिस्सों में लाखों लोगों के रोजगार छीन गए हैं.



आईसीजे ने किया प्रश्न
चीन से एक प्रश्न करते हुए आईसीजे मुखिया ने कहा कि यह प्रश्न अपने आप में वो रहस्य है जो जाहिर करता है कि चीन ने साजिश की है. अग्रावल ने चीन से प्रश्न किया कि क्या ऐसा कारण था जिससे कोरोना का घातक वायरस चीन के दूसरे राज्यों में नहीं फैला लेकिन सारी दुनिया में फ़ैल गया? इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ ज्यूरिस्ट ने संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा स्थित मानवाधिकार संगठन से मांग की वह अपने वैश्विक मंच से उस जानलेवा वायरस को फैलाने के लिए चीन, उसकी सेना और वुहान को दोषी ठहराए जिसके कारण  दुनिया भर में साठ हजार से अधिक लोग मारे गए हैं और सारी दुनिया के बाजार और कारोबार बंद हो गए हैं.