आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है इजरायल, अरब देशों के खिलाफ युद्ध से हुई थी सफर की शुरुआत
आज इजरायल ने अपनी आजादी के 73 साल पूरे कर लिए हैं. हालांकि वो अपना स्वतंत्रता दिवस हिब्रु कैलेंडर के मुताबिक मनाता है.
नई दिल्ली: फिलिस्तीन के साथ लगातार हो रही गोलाबारी की वजह से इजरायल एक बार फिर सुर्खियों में है. सालों के संघर्ष के बाद पूरी दुनिया से अपनी मातृभूमि पर वापस लौटने वाले लाखों यहूदियों ने इस देश की नींव रखी थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने फिलिस्तीन से लौटने का फैसला किया था. ऐसे में 14 मई 1948 को इजरायल ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया था. आज उसने अपनी आजादी के 73 साल पूरे कर लिए हैं.
हिब्रु कैलेंडर के मुताबिक मनाता है स्वतंत्रता दिवस
हालांकि इजरायल आधिकारिक तौर पर अपना स्वतंत्रता दिवस हिब्रु कैलेंडर के मुताबिक इयार के महीने के पांचवें दिन मनाता है. जो कि मौजूदा वर्ष में 14 अप्रैल को मनाया जा चुका है लेकिन ग्रिगेरेयन कैलेंडर के मुताबिक 14 मई ही उसका स्वतंत्रता दिवस है.
स्वतंत्रता दिवस के दिन इजरायल उन सभी लोगों को याद करता है जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए और उसके वजूद को बनाए रखने के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी. इजरायल की स्थापना के साथ ही यहूदियों की उनकी मातृभूमि में 2000 साल के लंबे अंतराल के बाद पुनर्स्थापना हो सकी.
29 नवंबर, 1947 को यूएन ने लगाई थी इजरायल की स्थापना पर मुहर
आधिकारिक तौर संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन और यहूदियों के लिए दो देशों के विभाजन पर मुहर 29 नवंबर, 1947 को लगा दी थी. दूसरे विश्व युद्ध के बाद फिलिस्तीन पर शासन कर रहे ब्रिटन के लिए दोनों गुटों के बीच संघर्ष को संभाल पाना मुश्किल हो गया था. ऐसे में वो इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले गया जहां द्वि-राष्ट सिद्धांत के तहत फैसला हुआ और इस इलाके को यहूदी और अरब देशों में बांट दिया साथ ही यरुशलम को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया गया.
14 मई, 1948 को अंग्रेजों ने छोड़ा था फिलिस्तीन
बरसों से अपनी मातृभूमि लताश रहे यहूदियों ने संयुक्त राष्ट्र के इस फैसले को तत्काल मान्यता दे दी. लेकिन अरब देशों ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया. 1948 में अंग्रेज इस इलाके को छोड़कर चले गए और 14 मई, 1948 को अंग्रेजों की विदाई से पहले ही यहूदियों ने इजरायल की आजादी का ऐलान कर दिया. एक नए मुल्क का उदय जिन परिस्थितियों में हुआ था उसका पहला कदम युद्ध की तरफ बढ़ गया.
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आजादी के एक दिन बाद अरब सेनाओं ने कर दिया हमला
एक ऐसी जगह जहां बसने के लिए पूरी दुनिया के यहूदी इंतजार कर रहे थे जिसे वो अपनी मातृभूमि कह सकें. लेकिन इजरायल की अपनी स्थापना के महज एक दिन बाद 15 मई, 1948 को अरब देशों की संयुक्त सेना( सीरिया, ट्रांस जॉर्डन, सीरिया और ईराक) ने उसके ऊपर हमला बोल दिया था.
हमले के बाद अरब सेना ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलिस्तीन अरब देश के रूप में इंगित किए गए इलाके को अपने कब्जे में लिया और इजरायल के कब्जे वाले इलाकों और यहूदी बस्तियों में हमला बोल दिया. समय के साथ ही इस युद्ध में शामिल इजरायल के विरोधियों की संख्या में इजाफा होता गया. सउदी अरब ने युद्ध के लिए अपनी सेना भेजी और मिस्र की सहायता से इजरायल पर हमला किया. तकरीबन 1 साल तक चले इस युद्ध में इजरायल के महिलाओं और पुरुषों ने हार नहीं मानी और अरब देशों को धूल चटा दी.
इजरायल ने अरब देशों को युद्ध में चटाई धूल
9 महीने 23 दिन चले इस युद्ध में एक तरफ अकेला इजरायल था जिसके पास शुरुआत में लगभग 30 हजार लड़ाके थे जिनकी संख्या युद्ध की समाप्ति तक तकरीबन 1 लाख 17 हजार हो गई. वहीं दूसरी तरफ मिस्र, ट्रांसजॉर्डन, ईराक, सीरिया, लेबनान, सउदी अरब, उत्तरी यमन की सेनाएं थीं.
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6400 लोगों की गई थी जंग में जान
इस युद्ध में तकरीबन 6,400 लोगों की जान गई थी. जिसमें 4 हजार लड़ाके और 2, 400 आम लोग थे. युद्ध के ही दौरान यहुदियों के कई सैन्य गुटों हगनह, पालमैक, हिश, हिम, इरगुन और लेकी के 26 मई, 1948 को हुए विलय से इजरायल डिफेंस फोर्सेस का गठन हुआ था.
1967 में 6 दिन में ही हासिल की फतह
पहले अरब-इजरायल युद्ध में जीत का स्वाद चखने के बाद इजरायली सेना ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो लगातार मजबूत होती गई. 1967 में दूसरी बार जब अरब देशों ने इजरायल के खिलाफ युद्ध युद्ध छेड़ा तो महज 6 दिन में इजरायल ने सभी को धूल चटा दी. इस युद्ध को 6 दिन का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इस युद्ध के बाद इजरायल ने यरुशलम पर कब्जा कर लिया और इसे अपनी राजधानी घोषित कर दिया. वो विवाद आज तक जारी है और मौजूदा संघर्ष की शुरुआत भी पूर्वी यरुशलम में ही हुई है.
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