अंटार्कटिका में बर्ड फ्लू वायरस ने बढ़ाई चिंता, पेंगुइन की मौत ने वैज्ञानिकों के लिए बजाई खतरे की घंटे
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मौसम पेंगुइंस के प्रजनन का है. ऐसे में अगर इनमें बर्ड फ्लू फैलता है तो यह बीमारी उनकी कॉलोनियों को तबाह कर सकते हैं.
नई दिल्ली: अंटार्कटिका के एक इलाके में हाल ही में एक किंग प्रजाति के पेंगुइन की मौत का मामला सामने आया है. माना जा रहा है कि इस पेंगुइन की मौत बर्ड फ्लू वायरस के कारण हुई है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस बात की पुष्टि हो जाती है तो ऐसा पहली बार होगा जब किंग प्रजाति के किसी पेंगुइन की मौत बर्ड फ्लू से हुई हो. बता दें कि अंटार्कटिका में पेंगुइन के बर्ड फ्लू से मौत की आशंका ने वैज्ञानिकों के लिए चिंता खड़ी कर दी है.
पेंगुइन की मौत ने बढ़ाई चिंता
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मौसम पेंगुइंस के प्रजनन का है. ऐसे में अगर इनमें बर्ड फ्लू फैलता है तो यह बीमारी उनकी कॉलोनियों को तबाह कर सकते हैं. यही कारण है कि किंग पेंगुइन के फ्लू से मरने की आशंका ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बीमारी के फैलने से उन्हें कई गंभीर रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं. बता दें कि अंटार्कटिका विश्व का एकमात्र ऐसा इलाका है जहां अभी तक बर्ड फ्लू का H5N1वायरस नहीं पाया गया था.
वायरस की एंट्री ने बजाई खतरे की घंटी
MRC यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो सेंटर फॉर वायरस रिसर्च के मॉलूक्यूलर वीरोलॉजिस्ट एड हचिंसन ने इसको लेकर कहा, 'पिछले साल के अंत में अंटार्कटिक में इस H5N1 वायरस की एंट्री ने खतरे की घंटी बजा दी है क्योंकि इससे इस नाजुक क्षेत्र में वन्यजीवों को खतरा था. पेंगुइन के मरने की खबरें सुनना बहुत दुखद है. दुर्भाग्य से यह बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है.'
जेंटू पेंगुइन की भी हुई थी मौत
बता दें कि किंग प्रजाति के पेंगुइन दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पेंगुइन है. इनकी लंबाई लगभग 3 फीट है. यह जंगल में 20 सालों से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है. साइंटिफिक कमेटी ऑन अनटार्कटिक रिसर्च (SCAR)के एक नए अपडेट के मुताबिक पेंगुइन की डेथ का यह मामला अंटार्कटिक क्षेत्र में दक्षिण जॉर्जिया द्वीप पर दर्ज किया गया था. इससे पहले इसी जगह पर जेंटू पेंगुइन की भी H5N1 से मौत हुई थी.
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