नई दिल्लीः अब पाकिस्तान के लिए आतंक को पालना-पोसना बेहद महंगा साबित होने वाला है. अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन की कैबिनेट में रक्षामंत्री के तौर मिशेल फ्लोरनॉय आने वाली हैं. इन्हें बाइडेन की बाहुबली कहा जा रहा है. ऐसा क्या है, क्यों इन्हें बाहुबली कहा जा रहा है, इसके पीछे दिलचस्प माजरा है.


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टेंशन में हैं इमरान-बाजवा-जिनपिंग? 
अमेरिका की मिशेल फ्लोरनॉय वो शख्सियत हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी का काम तमाम कर दिया था. इसके लिए इन्होंने अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान और मिडिल ईस्ट के तमाम आतंकी गुटों का गहन अध्ययन किया और कई बार आतंकी ठिकानों में भी गईं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के एक- एक आतंकी ठिकाने और उसके पीछे कौन-किस रोल में है मिशेल फ्लोरनॉय को सब पता है. 


आतंक की पूरी कुडंली जानती हैं मिशेल
जब से बाईडेन के कैबिनेट में इनके आने की चर्चा शुरू हुई है बाजवा और इमरान के हलक सूख गए हैं. उन्हें पता लग गया है कि अब अमेरिका को आतंकवाद के मुद्दे पर रत्तीभर भी बेवकूफ नहीं बना सकते. उन्हें लश्कर से लेकर जैश तक के आतंकी ठिकानों का चप्पा चप्पा पता है.



कई जानकार तो यहां तक कहते हैं कि वो उंगलियों में अलकायदा और हक्कानी नेटवर्क की पूरी आतंकी ब्रिगेड को गिन सकती हैं. हालांकि इस तजुर्बे के पीछे मिशेल फ्लोरनॉय का कड़ा संघर्ष और अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन ओसामा बिन लादेन की तलाश से जुड़ा उनका मिशन है . जिसके लिए कई बार उन्हें अपनी जान को भी खतरे में डालना पड़ा .
 
ओसामा बिन लादेन को ढेर करने वाली बाहुबली 
साल 2011 में एबटाबाद में जब अमेरिकी सील कमांडरों ने ओसामा बिन लादेन का काम तमाम किया था तो उस ऑपरेशन की कमान मिशेल ने ही संभाली थी. वो बराक ओबामा के उस हाल में मौजूद थीं जहां पर हिलेरी क्लिंटन समेत तमाम बड़े अमेरिकी अफसर ओसामा बिन लादेन के सीक्रेट ऑपरेशन को देख रहे थे.



उसकी पूरी प्लानिंग मिशेल फ्लोरनॉय ने ही तैयार की थी. वो कई बार पाकिस्तान का चक्कर लगा चुकी थीं तब कहीं जाकर ओसामा बिन लादेन को घेर पाईं थी. वो मिशेल ही थीं जिन्होंने बराक ओबामा को जानकारी दी थी कि अगर पाकिस्तान की सेना को इस ऑपरेशन में शामिल किया गया तो मामला हाथ से निकल जाएगा क्योंकि उन्हें पता था कि सेना के कई अफसर ओसामा बिन लादेन से मिले हुए हैं..


क्यों खौफ में हैं बाजवा-इमरान? 
पाकिस्तान ने पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से अफगानिस्तान में अलकायदा और हक्कानी नेटवर्क को एक्टिव करके धमाके करा रहा है और दुनिया में राग अलाप रहा है कि वो तो आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ रहा है. उसका ये खेल मिशेल फ्लोरनॉय के पेंटागन में आने के बाद पूरी तरह से खत्म होने वाला है. यानी अब पाकिस्तान पर FATF की ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा और बढ़ गया है.


तिब्बत पर लेडी सिंघम की नजर, टेंशन में जिनपिंग- हेडर
मिशेल फ्लोरनॉय के आने से पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग करने वाले चीन की मुश्किलें भी बढ़नी तय हैं. माना जा रहा है कि चीन को घेरने के लिए बाइडेन की ये बाहुबली तिब्बत पर कुछ बड़ा धमाका कर सकती हैं. अभीतक अमेरिका साउथ चाइना सी में ताइवान को ताकतवर बना रहा है लेकिन अमेरिका को पता है कि अगर चीन को कंट्रोल में रखना है तो बात भारत से ही बनेगी. लिहाजा भारत की मदद से अमेरिका की लेडी सिंघम तिब्बत में नया फ्रंट खोल सकती हैं. 


दुश्मन को भनक से पहले ही मिशेल का ऑपरेशन पूरा
हाल ही में पहली बार तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये को पहली बार व्हाइट हाउस में बुलाया गया था. कहते हैं कि बाइडेन की इस लेडी सिंघम का काम करने का तरीका बेहद खामोशी वाला है. जबतक दुश्मन को भनक लगती है तबतक मिशेल फ्लोरनॉय का ऑपरेशन पूरा हो जाता है. जो लोग कहते हैं कि जो बाइडेन चीन से नहीं उलझेंगे उन्हें समझ लेना चाहिए कि व्हाइट हाउस की नई टीम चीन को सबसे कड़ा सबक सिखाने जा रही है. 


चीन को चित्त करने का ब्लू प्रिंट तैयार
साउथ चाइना सी में ताइवान और जापान के जरिए अमेरिका की लेडी सिंघम चीन को चित्त करने के प्लान का ब्लू प्रिंट तैयार कर चुकी हैं. लेकिन उनकी सबसे कड़ी नजर एलएसी पर है. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही मिशेल फ्लोरनॉय ने एक लेख लिखकर कह दिया था कि चीन गलवान में जिस तरह से दबंगई कर रहा है वो दुनिया की शांति के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने चीन की चेतावनी दी थी कि गलवान में उसे अपनी हद में रहना चाहिए. चीन ने एलएसी में जो कुछ किया है वो ठीक नहीं है.


मिशेल के प्लान में मोदी अहम
कोविड पैनडेमिक के दौर में चीन जिस तरह से विस्तारवादी रवैया अपना रहा है उस पर पेंटागन को कड़ी नजर रखने की जरूरत है. अब तो मिशेल फ्लोरनॉय उसी पेंटागन की सबसे बड़ी अधिकारी होने जा रही हैं जिससे उन्होंने चीन पर कड़ी नजर रखने को कहा था. मतलब साफ है कि चीन को काबू में करने के लिए मिशेल के प्लान में मोदी अब भी अहम हैं.  


टेक्नॉलजी पर भी जबरदस्त पकड़
मिशेल फ्लोरनॉय एक ऐसी अफसर रहीं हैं जिनकी टेक्नोलॉजी पर जबरदस्त पकड़ है. वो इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर , साइबर वॉरफेयर और स्पेश वॉर फेयर में भी महारत रखती हैं. कहा तो ये जाता है कि एक कोने में बैठकर बाइडेन की ये बाहुबली पूरी दुनिया पर नजर रखती है.



मिशेल को चीन की चुनौती इलेक्ट्रॉनिक और स्पेश वॉरफेयर में चीन की बढ़ती पकड़ को कमजोर भी करना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 165 देशों में अमेरिका के जीपीएस सिस्टम को पीछे छोड़ दिया है. वहां चीन का का beiCLOU सिस्टम काम कर रहा है. लिहाजा फ्लोरनॉय की कोशिश होगी की अमेरिका फिर चीन को इस क्षेत्र में पछाड़े और अपनी बादशाहत कायम करे. 
 
लीबिया की तानाशाही भी खत्म करने में भी निभाई अहम भूमिका
मिशेल फ्लोरनॉय बहुत अनुभवी अफसर हैं वो क्लिंटन प्रशासन में भी काम कर चुकी हैं और सद्दाम हुसैन के खिलाफ जंग में उनका रोल बेहद अहम था. लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी को भी उखाड़ फेंकने में मिशेल फ्लोरनॉय की भूमिका बेहद अहम थी. मिडिल ईस्ट के देशों में कई बड़े ऑपरेशन कर चुकी मिशेल फ्लोरनॉय वहां से हिजबुल्ला जैसे आतंकवादी संगठनों को उखाड़ फेंकना चाहती हैं. तो बस जनवरी का इंतजार कीजिए और फिर देखिए कैसे चीन- पाकिस्तान जैसे आतंक को बढ़ावा देने वाले मुल्कों के खिलाफ बाइडेन की बाहुबली की फाइट शुरू होती है.


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