गुस्ताख मलेशिया के ताजिये ठंडे किये मोदी सरकार ने
मलेशिया को अपनी हैसियत पहले देखनी थी और भारत के आंतरिक मामले में अपनी नाक बाद में डालनी थी..अपनी गुस्ताफी के बाद अब माफ़ी के बोल ढूंढ रहा है मलेशिया
नई दिल्ली. भारत किसी के आंतरिक मामलों में नहीं बोलता और इसी तरह भारत जैसे स्वाभिमानी देश को उसके घरेलू मामलों में किसी की नाक डालने वाली हरकत भी पसंद नहीं. कुछ दिनों से मलेशिया को लगने लगा था कि शायद वो अमेरिका बन गया है और उसके भारत को लेकर सुर बदल गए थे. पर मोदी सरकार ने मलेशिया के ढोल के तार कस दिए हैं.
पाकिस्तान से प्रेम जताया भारत से विरोध
दुनिया में बदनाम एक देश का नाम है पाकिस्तान. उससे दोस्ती का सिर्फ एक मतलब है इस्लामी कट्टरपंथी का साथ देना. मलेशिया ने यही किया. पकिस्तान की शाह पर उसने आरोप लगाया था कि भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून के अंतर्गत भारत के मुसलमानो के साथ भेदभाव किया जा रहा है, मलेशिया ने कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने का भी विरोध किया था. मलेशिया को शायद ये बाद में पता चला कि दुनिया में सबसे ज्यादा खुश और संतुष्ट मुसलमान भारत में ही हैं.
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भारत ने स्क्रू टाइट किये
पहले भारत ने मलेशिया को गंभीरता से समझाया कि आप गलत सोच रहे हैं, ऐसा नहीं है. और फिर वैसे भी आपको हमारे आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है. किन्तु मलेशिया ने अपने बिगड़े बोल जारी रखे. भारत ने इस छोटू देश से किसी तरह की बहस में उलझने का बचपना करने की बजाये उसे उसके हाल पर छोड़ देना बेहतर समझा. हां, इसके साथ भारत ने हर साल मलेशिया से आयात होने वाला 90 लाख टन पाम तेल का आयात भी बंद कर दिया है.
भारत ने किया आयात बंद
भारत को बड़ी हैरानी हुई थी जब मलेशिया ने जम्मू-कश्मीर पर विरोधी बयान दिया था. इसकी वजह ये थी कि भारत और मलेशिया के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार होता है. पिछले वर्ष मलेशिया के पाम तेल का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार भारत था. वर्ष 2019 साल के दौरान भारत ने मलेशिया से 40.4 लाख टन पाम तेल आयात किया था.