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नई दिल्ली. दो हज़ार बीस की फरवरी ने दुनिया में एक नये मैत्री-स्तंभ को जन्म दिया है जो भारत के दोनो बड़े दुश्मनों के लिये आसानी से गले उतरने वाली बात नहीं है. एक तरफ तो अमरीकी राष्ट्रपति का अभूतपूर्व स्वागत कर रहा है हिन्दुस्तान तो दूसरी तरफ नमस्ते ट्रम्प से जली चीन की जान वहीं घूरता रहा पाकिस्तान. 



 


कहा ड्रैगन के लिए खतरे का अलर्ट 


भारत अमरीका संबंधों का यह उत्कर्ष चीन को इतना अखर जाएगा, ये तो भारत और अमेरिका को भी पता था लेकिन जो प्रतिक्रिया चीन से आई है उसकी उम्मीद न थी. चीन ने कहा कि ये ड्रैगन के लिए खतरे का अलर्ट है.  चीन की ये तिलमिलाहट उसके दुहरे नुकसान की तरफ इशारा कर रही है. एक नुकसान तो कोरोना वायरस के ऑउटब्रेक से हुआ है दूसरा चीनी अर्थव्यस्था आईसीयू में पहुँचने वाली है, जो चीन के लिए इस दशक का सबसे बड़ा सदमा है. चीन के सरकारी मुखपत्र ग्‍लोबल टाइम्‍स में मोदी-ट्रम्प एमिटी को लेकर बड़ी चिंताएं जाहिर की गई हैं. 


पाकिस्तान को लगी गहरी चोट 


पाकिस्तान खामोशी से देख रहा है भारत और अमेरिका मैत्री के नए अध्याय का शुभारम्भ. उसने चीन की तरह सीधे-सीधे प्रतिक्रिया न देकर सधी हुई प्रतिक्रिया दी. पाकिस्तान कुछ दिन पहले अपने सबसे भरोसेमंद साथी और बड़े भाई चीन से पेरिस में चोट खा चुका है जहां उसे चीन का समर्थन न मिलने के कारण ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है. अब आर्थिक तंगी की मार झेल रहा पाकिस्तान अमेरिकी मदद की और मुंह उठा कर देख रहा है. इसलिए उसने समझदारी दिखाते हुए कहा कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्‍तान के साथ बे‍हतर रिश्‍तों की बात की है. 



 


सामरिक सन्तुलन को लेकर चीनी प्रतिक्रिया 


चीनी मुखपत्र के अनुसार अमेरिका चाह रहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन बना सके इसलिए वह अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत के साथ हर कोशिश कर रहा है और भारत-अमरीकी मैत्री का मूल उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास है.


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