क्या होती है यूथेनेशिया, जिसे गले लगाकर नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी ने छोड़ी दुनिया
ड्राइस वन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन दोनों की उम्र 93 साल थी. दोनों करीब 70 साल से एकदूसरे के साथ थे. लंबे समय से यह जोड़ा स्वास्थय संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहा था.
नई दिल्ली: आज के समय में एक ओर जहां सच्चा प्यार मिलना बेहद मुश्किल होता है. वहीं दुनिया में कई ऐसे कपल्स भी हैं, जो आज के समय में इस आत्मीयता को लंबे समय तक जीवंत रखकर हम सभी के बीच उदाहरण पेश कर रहे हैं. बता दें कि नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ड्राइस वन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन ने जीवन का लंबा सफर साथ गुजारने के बाद एक साथ दुनिया को अलविदा कह दिया है.
हाथों में हाथ डालकर चुनी मौत
रिपोर्ट्स के मुताबिक ड्राइस वन एग्त और उनकी पत्नी यूजीन दोनों की उम्र 93 साल थी. दोनों करीब 70 साल से एकदूसरे के साथ थे. लंबे समय से यह जोड़ा स्वास्थय संबंधी दिक्कतों का सामना कर रहा था, हालांकि जूवन के इस कठिन समय में भी दोनों ने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एकसाथ हाथों में हाथ डालकर इस दुनिया से विदा लेने का फैसला किया.
इच्छा मृत्यु का किया फैसला
एग्त और यूजीन ने बीते 5 फरवरी 2024 को इच्छा मृत्यु (एक्टिव यूथेनेसिया) के जरिए अपने प्राण त्यागने का फैसला लिया था. नीदरलैंड की एक कानूनी अधिकार संस्था के अनुसार कपल्स को एक्टिव यूथेनेसिया यूथेनेसिया का इंजेक्शन दिया गया. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को एक दूसरे के आस-पास ही दफनाया गया. एग्त अपनी पत्नी को बेहद चाहते थे. दोनों एक दूसरे को स्कूल के दिनों से जानते थे. वहीं एक इंटरव्यू में यूजीन ने बताया था कि एग्त उन्हें आज भी माय गर्ल कहकर पुकारते हैं.
1977-1982 तक रहे थे पीएम
ड्राइस वेन एग्त साल 1977-1982 के बीच नीदरलैंड के प्रधानमंत्री रहे. वह क्रिश्चियन डेमोक्रेट पार्टी का हिस्सा थे. साल 2019 में एक सेमिनार हॉल में स्पीच देते समय उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था. ड्राइस वेन एग्त कई बार पार्टी लाइन को क्रॉस कर देते थे, जिसके चलते कभी-कभी उन्हें अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ता था. वह फिलीस्तीन के समर्थक और इजरायल के कट्टर विरोधी थे.
क्या है यूथेनेसिया?
यूथेनेसिया के जरिए किसी व्यक्ति को दर्द या पीड़ा से मुक्त करने के लिए उसकी मर्जी से मार दिया जाता है. नीदरलैंड में साल 2000 में कानूनी तौर पर यूथेनेसिया को मान्यता प्राप्त हुई थी. इस कानून के तहत जो शख्स किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हो या उसकी सेहत में सुधार की कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही हो वह इच्छा मृत्यु मांग सकता है. भारत में इच्छा मृत्यु कानूनी रूप से अवैध है. यह IPC की धारा 309 के अंतर्गत आत्महत्या का अपराध है.
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