नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अब जल्द ही फांसी के फंदे पर झूलते नजर आ सकते हैं. पाकिस्तान के पेशावर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह और गैर-कानूनी कामों के तहत दोषी पाया और फांसी की सजा सुनाई. मुशर्रफ फिलहाल दुबई में हैं. 3 नवंबर, 2007 को देश में इमरजेंसी लगाने के जुर्म में परवेज मुशर्रफ पर दिसंबर 2013 में उनपर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था.
 


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2014 में दोषी ठहरा दिए गए थे मुशर्रफ


मुशर्रफ को हालांकि दोषी तो 2014 में ही ठहरा दिया गया था लेकिन सजा नहीं सुनाई गई थी. पूर्व राष्ट्रपित ने बहुत कोशिश की लेकिन किसी भी अदालत में उनकी याचिका दायर होने के बाद भी राहत नहीं मिली. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने लाहौर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर किया था जिसमें इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे की लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था. और क्योंकि उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला है, तो यह उतना आसान नहीं था. 


याचिका पर याचिका दायर कर रहे थे मुशर्रफ


पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, मुशर्रफ के वकीलों ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी की ओर से दायर याचिका में लाहौर हाईकोर्ट से विशेष अदालत में कार्यवाही बढ़ाने पर रोक लगाने के लिए कहा गया था. तब तक जब तक कि लाहौर हाईकोर्ट की ओर से मुशर्रफ की पहले की लंबित याचिकाओं पर फैसला नहीं आ जाता.


गैर-संवैधानिक तरीकों से इमरजेंसी लगाने का दर्ज था मामला


याचिका में, मुशर्रफ ने एक विशेष अदालत के गठन को चुनौती भी दे दी थी. इसमें देशद्रोह और गैर कानूनी काम के आरोपों के तहत उनपर मुकदमा दायर था. मुशर्रफ ने यह नई याचिका इससे पहले इसी महीने तीन सदस्यीय विशेष अदालत की ओर से की गई उस घोषणा के बाद दायर की थी. उनके खिलाफ तीन नवंबर 2007 को अवैध तरीके से और अकारण ही इमरजेंसी लगाने और संविधान को निलंबित करने का मामला दर्ज किया गया था.


दिसंबर 2013 में दर्ज इस मामले में सुनवाईयों का दौर लगातार चल रहा था और आज यानी मंगलवार को इसका फैसला आया कि मुशर्रफ को फांसी की सजा दी जाएगी. 


हालांकि, अभी भी तारीख नहीं बताई गई है. पहले उन्हें दुबई से वापस बुलाया जाएगा.