नई दिल्ली: पाकिस्तान को आतंक का रखवाला यूं ही नहीं कहा जाता है. वहां की सरकार आतंकवादियों की सबसे बड़ी हमदर्द है. तभी तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को शहीद की उपाधि दे दी थी. अब इमरान के मंत्री ने करीब एक साल बाद मियां के उस बयान पर उनका बचाव किया है.


इमरान की फिसलती जुबान को संभालो


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पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि पिछले साल प्रधानमंत्री इमरान खान ने मारे गए अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन को "शहीद" बताया था, तब उनकी जुबान फिसल गई थी. जनाब ने ये भी कहा कि उनकी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट नीति है.


अब इमरान के मंत्री फवाद चौधरी को ये बताना चाहिए कि क्या ये मजाक चल रहा है, पहले दुनिया के सबसे क्रूर आतंकी की मौत को शहादत करार दे दो और उसके साल भर बाद आकर 'slip of the tongue' वाली दलील पेश कर लो. प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर ऐसी ओछी बातें करके क्या इमरान को शर्म नहीं आई? खुदा बचाए पाकिस्तान की आवाम को ऐसे वजीर-ए-आजम से..


दरअसल, रविवार को एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल के कार्यक्रम पर फवाद चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान ने अलकायदा को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी सूची में शामिल करने के पक्ष में मतदान किया था और यह अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता है. मंत्री ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, "उनकी जुबान फिसल गई थी, उन्होंने इसे स्पष्ट कर दिया था."


जब मियां इमरान ने UN में किया था कांड


पिछले साल जून की बात है, जब संसद में एक व्यापक भाषण में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ देश के संबंधों के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री इमरान ने कहा था कि 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में वाशिंगटन का समर्थन करने के बावजूद पाकिस्तान को बहुत "अपमान" का सामना करना पड़ा था. और फिर अफगानिस्तान में अमेरिका की विफलताओं के लिए दोषी ठहराया गया.


एक घटना को याद करते हुए कि उन्होंने पाकिस्तान को "शर्मिंदगी" कहा था, इमरान ने कहा था: "अमेरिकी एबटाबाद आए और मारे गए, ओसामा बिन लादेन को शहीद कर दिया. उसके बाद क्या हुआ? पूरी दुनिया ने हमें शाप दिया और हमारे बारे में बुरा बोला."


उस समय, पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा था कि प्रधानमंत्री के शब्दों की पसंद "हिंसक उग्रवाद के तुष्टिकरण के उनके इतिहास" के अनुरूप थी, उस समय विपक्ष ने इमरान को उनकी टिप्पणी के लिए लताड़ा था.


इमरान ने गलती के बाद पेश की थी सफाई


हालांकि, राजनीतिक संचार के लिए प्रधानमंत्री के विशेष सहायक डॉ शाहबाज गिल ने उस वक्त इमरान का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने बिन लादेन (शहीद के अलावा) के लिए दो बार "मारे गए" शब्द का इस्तेमाल किया था.


विवाद पिछले हफ्ते फिर सामने आया जब विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अफगानिस्तान के टोलो न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में ओसामा बिन लादेन को आतंकवादी कहने से परहेज किया.


ओसामा आतंकी नहीं तो क्या समाजसेवी था?


जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री से पूछा गया कि इमरान ने ओसामा बिन लादेन को "शहीद" कहने के लिए उद्धृत किया, तो कुरैशी ने कहा: "ठीक है, फिर से, मुद्दे से बाहर.. उन्हें (प्रधानमंत्री) संदर्भ से बाहर कर दिया गया. और मीडिया का एक विशेष वर्ग इसे जोड़ता है."


यह पूछे जाने पर कि क्या वह असहमत होंगे, विदेश मंत्री ने कुछ देर के लिए विराम दिया और फिर कहा: "मैं इसे पास होने दूंगा."


इस मसले पर फवाद चौधरी ने कहा है कि 'विदेश मंत्री के बिन लादेन को आतंकवादी कहने से इनकार करने का कारण "अतीत को देखने के बजाय आगे बढ़ने" की उनकी इच्छा हो सकती है.'


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'ऑपरेशन जेरोनिमो' में हुआ ओसामा का अंत


10 साल पहले 2 मई 2011 को अमरीकी फौज के विशेष बल के एक दस्ते ने पाकिस्तान के खैबर पखतूनख्वा प्रांत के एबटाबाद शहर में दुनिया के सबसे वांछित व्यक्ति ओसामा बिन लादेन उनके करीबी साथी अबू अहमद अलकूवैती और तीन अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी.


पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिका ने आतंकी ओसामा बिन लादे का खात्मा करने के लिए एक बड़े मिशन का प्लान तैयार किया था. ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए पूरी तैयारी हुई और इसका कोड तय हुआ, 'ऑपरेशन जेरोनिमो'


एबटाबाद शहर में ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ था. 2 मई, 2011 की तड़के अमेरिकी नौसेना के जवानों द्वारा गुप्त "ऑपरेशन जेरोनिमो" के दौरान में मारा गया था. ऑपरेशन के वैश्विक परिणाम हुए और देश में अंतर्विरोधों को उजागर करते हुए पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची.



पाकिस्तान अपनी हरकतों से ही अपनी जगहंसाई कराता है. पाकिस्तान में घुसकर अमेरिका ने आतंकी को मारा तो उसकी ये पोल खुल गई कि वो आतंकियों को पनाह देता है. हालांकि ये किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंक का अड्डा है. और तो और पिछले साल मियां इमरान ने ओसामा को शहीद करार दे दिया था, ऐसे में अब तक इस बात पर पाकिस्तान में बखेड़ा चल ही चला रहा है.


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