नई दिल्ली: असीम शक्तियां भी जन शक्ति के आगे बेदम हो जाती हैं. अगर इसे देखना और समझना है तो सीधे मास्को चले आईए जहां हजारों की भीड़ राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ सड़क पर उतर आई है. चौराहों पर उन्मादी भीड़ पुतिन की पुलिस को चुनौती दे रही है. पुलिस की गिरफ्तारी का न लोगों में डर है और न रूसी खुफिया एजेंसियों का जो उनकी मुसीबतें बढ़ा सकती हैं .


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कौन सोच सकता है कि कुछ महीने पहले संविधान संशोधन के जरिए 2036 तक सत्ता का निष्कंटक ताज हासिल करने वाले पुतिन को मास्को में ही चुनौती मिलेगी. मास्को (Moscow) की सड़कों पर ऐसे जनविद्रोह की कल्पना पुतिन ने भी कभी नहीं की होगी जहां जनता की बुलंद आवाज के आगे उनकी ताकत हवा में कागज के टुकड़े की तरह उड़ रही है.



रूस (Russia) में पुतिन के धुर विरोधी एलेक्सी नवेलनी की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है. नाराज लोग राजधानी मास्को के अलावा 109 शहरों में संग्राम छेड़े हुए हैं. ऐसा तब हो रहा है जब रूस में हाड़ कंपाने वाली सर्दी पड़ रही है. साइबेरिया के कुछ इलाकों का तापमान माइनस 51 डिग्री तक पहुंच गया है. ऐसा तब हो रहा है जब पुतिन सरकार ने पुलिस को प्रदर्शनकारियों के पीछे लगा दिया है. अबतक 3500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं जिनमें नवेलनी की पत्नी यूलिया नवलन्या, प्रवक्ता और वकील भी शामिल हैं. दुनिया की कई एजेंसियों ने दावा किया है कि पुतिन के खिलाफ रूस में ये अबतक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है.


इंटरनेट डाउन से पुतिन क्या रोक पाएंगे विद्रोह?


पुतिन (Vladimir Putin) ने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए मास्को समेत कई बड़े शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं जबकि कुछ इलाकों में जहां प्रदर्शनकारियों की भीड़ ज्यादा है वहां मोबाइल नेटवर्क को जाम कर दिया गया है. इसके अलावा लोगों को चौक- चौराहों से भगाने के लिए लाठीचार्ज भी किया जा रहा है.



प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस एक्शन की अमेरिका (America) समेत कई देशों ने कड़ी आलोचना की है. एस्तोनिया, लातविया और लिथुआनिया के विदेश मंत्रियों ने नवेलनी की गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार रूसी अधिकारियों के खिलाफ कड़े प्रतिबंधों की मांग की है.  


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काला सागर तट पर 100 अरब की हवेली


मास्को जैसी कड़ी सुरक्षा वाली जगहों में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी ‘रूस आजाद होगा’ और ‘पुतिन चोर है’ जैसे नारों वाले पोस्टर लेकर विरोध जता रहे हैं. प्रदर्शनकारी विपक्षी नेता नवेलनी को जल्द से जल्द रिहा करने की मांग कर रहे हैं. नवेलनी (Alexei Navalny) ने पुतिन पर आरोप लगाया था कि उनके पास शाही महल हैं जिसमें विलासिता की चीजों के साथ जुआघर भी है. वो महिलाओं पर खुलकर सरकारी धन लुटा रहे हैं.



इन महिलाओं में पुतिन की गर्लफ्रेंड, उनकी पूर्व पत्नी और उनकी 17 साल की एक सीक्रेट बेटी एलिजावेटा शामिल है जिसे रूस में लुइजा नाम से भी जाना जाता है. नवेलनी ने आरोप लगाया था कि काला सागर (Black Sea) के तट पर 100 अरब खर्च करके पुतिन ने एक भव्य महल बनाया है जहां पोल डांस और कैसिनो जैसी सुविधाएं हैं. हालांकि पुतिन ने सफाई देते हुए कहा है कि इस महल का उनसे और उनके परिवार से कोई संबंध नहीं है.


कौन हैं एलेक्सी नवेलनी?


एलेक्सी नवेलनी की उम्र 44 साल है और उन्होंने पुतिन के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) विरोधी आंदोलन छेड़ रखा है. 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में भी उन्होंने पुतिन को चुनौती देने की कोशिश की थी लेकिन एक आरोप में दोषी ठहराकर पुतिन ने उन्हें रेस से बाहर कर दिया था. पिछले साल उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी जिसके बाद अमेरिका में उनका इलाज चला.



जहर देने का आरोप पुतिन पर लगाया गया. लेकिन पुतिन ने जहर देने के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अगर उन्हें नवेलनी को मारना होता तो फिर इलाज के लिए उन्हें जर्मनी (Germany) क्यों भेजते. 17 जनवरी को जर्मनी से इलाज कराकर लौटते वक्त ही नवेलनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.


केजीबी एजेंट से राष्ट्रपति तक का हैरतअंगेज सफर


1989 की रूसी क्रांति में सोवियत संघ टूट गया उस वक्त पुतिन साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में केजीबी एजेंट थे. वो अपने गृहनगर लेनिनग्राद लौट आए जिसे अब फिर से पुराने नाम सेंट पीटसबर्ग के नाम से जाना जाता है. केजीबी एजेंट होने के नाते पुतिन तेजी से संपर्क बनाने में माहिर थे वो लेनिनग्राड के मेयर एनातोली सोबचाक के खास बन गए.


अपने सियासी गुरू सोबचाक के निधन के बाद पुतिन ने लेनिनग्राड छोड़ दिया और मास्को आ गए जहां वो केजीबी के बाद बनी खुफिया एजेंसी एफएसबी (FSB) से जुड़ गए. जल्दी ही उनकी मुलाकात गोर्वाचोव के बाद राष्ट्रपति (President) बने बोरिस येल्तसिन से हो गई. अपने संपर्कों और कुशल संचालन क्षमता के कारण पुतिन बहुत जल्द बोरिस येल्तसिन के खास बन गए. स्वासथ्य कारणों से 1999 में बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया और पुतिन का सियासी सितारा सातवें आसमान पर चमकने लगा. पुतिन कार्यकारी राष्ट्रपति चुन लिए गए और एक साल बाद 2000 में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए.



पुतिन को येल्तसिन के बफादार बर्जोवस्की और ऑलीगार्क का साथ मिल गया. रूस में ऑलीगार्क व्यापारियों के समूह को कहा जाता है जिनका सत्ता पर कंट्रोल रहता है. लेकिन पुतिन ने सत्ता मिलते ही ऑलीगार्क समूह की ताकत कम कर दी और मीडिया पर नियंत्रण कर लिया. मीडिया पर नियंत्रण के कारण रूस के लोगों को लगने लगा कि पुतिन के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो रूस को संभाल सके. 20 साल के निष्कंटक शासन के बाद अब पुतिन के कड़ी चुनौती मिल रही है.


अब देखना है कि पुतिन सड़क पर उतरी जनता के गुस्से पर कैसे काबू करते हैं. एक केजीबी एजेंट होने के कारण पुतिन ने ऐसा नेटवर्क तैयार कर लिया है जहां हर शख्स की जानकारी उनके पास है. ऐसे में पुतिन के लिए विद्रोह पर काबू पाना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव नहीं.


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