नई दिल्ली. मेद्वेदेव को तो जाना ही था, सो वो चले गए. लेकिन अब जो आये हैं रूस के नए प्रधानमंत्री बन कर वे एक मजबूत हैसियत वाली शख्सियत के मालिक हैं. रूस के नये प्रधानमन्त्री मिखाइल मिशुस्तिन जितने शक्तिशाली हैं उतने ही वफादार भी रूस के राष्ट्रपति पुतिन के. इसलिए अब इस जोड़ी को बरसों तक हिला पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होगा.



रूस के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं मिखाइल मिशुस्तिन


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जिस देश में बिना अधिनायक बने ही किसी नेता की सत्ता अधिनायकवाद की तर्ज पर चलती हो वहां की राजनीति में दिमाग और ताकत दोनों का बराबर संतुलन होता है. पुतिन के रूस में पूर्व प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव इसीलिए चले गए कि उनकी शक्ति चुक चुकी थी. उनके स्थान पर जिसे पुतिन के इशारे पर रूस की जनता ने चुना है वो हैं रूस का एक दमदार नाम - मिखाइल मिशुस्तिन.


अचानक आये हैं उभर कर मिशुस्तिन


मिखाइल मिशुस्तिन एक ऐसे नेता हैं जिनके बारे में अब से कुछ दिन पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये इस देश केअगले प्रधानमंत्री होने जा रहे हैं. जाने वाले प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव राष्ट्रपति पुतिन के हमसाया माने जाते थे इसलिए ही वे एक लम्बे अरसे से प्रधानमंत्री पद पर बने हुए थे. पर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मेद्वेदेव को वनवास दे दिया गया और अँधेरे से उठा कर एक नेता को इस कुर्सी बार बैठा दिया गया जो रूस की जनता के लिए किसी सरप्राइज़ से कम नहीं है. 



शुरू हो गया पुतिन के परिवर्तन का दौर 


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने देश को अपनी चाहत के मुताबिक़ संवार रहे हैं. उन्होंने जिस तरह सत्ता के विभिन्न शिखरों पर योग्य और भरोसेमंद लोगों को बैठाया है उसी तरह अब वे रूस के संविधान में भी बड़े बदलाव करने जा रहे हैं. अब रूस नई दुनिया का रूस बनने वाला है जो परम्परा से हट कर कुछ नई शक्लो-सूरत लेकर सामने आयेगा. 


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