नई दिल्ली: पाकिस्तान की औसत उत्पादकता वृद्धि 2010 से 2020 तक महज 1.5 प्रतिशत रही. गौरतलब है कि आर्थिक वृद्धि में उत्पादकता वृद्धि का महत्वपूर्ण योगदान है. समाचार पत्र डॉन ने बताया कि अध्ययन योजना मंत्रालय और एक थिंक टैंक पाकिस्तान विकासात्मक अर्थशास्त्र संस्थान (पीआईडीई) ने मिलकर किया.


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अध्ययन में लगाया गया उत्पादकता वृद्धि का अनुमान
अध्ययन में देश में उत्पादकता वृद्धि का अनुमान लगाने के लिए 61 क्षेत्रों में विभाजित 1,321 फर्मों के सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया.


रिपोर्ट के अनुसार उच्च उत्पादकता वृद्धि वाले क्षेत्र ज्यादातर सेवाओं या तकनीक पर आधारित थे, जबकि मध्यम से निम्न या नकारात्मक उत्पादकता वृद्धि वाले क्षेत्र विनिर्माण क्षेत्र के थे. कुल कारक उत्पादकता (टीएफपी) वृद्धि दीर्घकालिक उत्पादन वृद्धि का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है.


पाकिस्तान में अनियमित रही है जीडीपी की वृद्धि
अध्ययन से पता चला कि जिन अर्थव्यवस्थाओं में टीएफपी की वृद्धि तीन प्रतिशत से अधिक थी, उनकी जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या उससे अधिक रही, जबकि तीन प्रतिशत से कम की टीएफपी वृद्धि की स्थिति में जीडीपी वृद्धि तीन प्रतिशत से सात प्रतिशत के बीच थी.


अध्ययन के अनुसार 1970 के दशक की शुरुआत से ही पाकिस्तान में टीएफपी और जीडीपी दोनों की वृद्धि अनियमित रही है. कुछ वर्षों में टीएफपी की वृद्धि नकारात्मक भी रही है. पिछले कुछ दशकों में टीएफपी वृद्धि लगभग दो प्रतिशत रही है.


अध्ययन में 1,321 फर्मों को 61 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है. इनमें से प्रत्येक फर्म के आंकड़े 2010 से 2020 तक के हैं. अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि 2010 और 2020 के बीच विश्लेषण में शामिल सभी 61 क्षेत्रों के लिए औसत टीएफपी वृद्धि 1.5 प्रतिशत रही. कम टीएफपी वृद्धि का मतलब है कि अर्थव्यवस्था समय के साथ उत्पादक नहीं रही है.
(इनपुट: भाषा)


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