नई दिल्ली: आज के ज़माने में जब तकनीक ही सबसे बड़ी ताक़त बन गई है तो इसका ज़ोर सैन्य ताक़त में भी सिर चढ़ कर बोलता है. दुनिया की महाशक्ति बनने की इस होड़ में हर बीतते दिन के साथ नई तकनीक के साथ नया परीक्षण कर हर देश एक दूसरे से दो क़दम आगे जाने की होड़ में लगा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


 शीतयुद्ध के ज़माने से एक दूसरे को पटखनी देने की इस होड़ में लगे परंपरागत दुश्मन रहे अमेरिका और रूस के बीच आज भी ये प्रतिस्पर्धा काफी तेज़ है.


सबसे बड़ी ताक़त एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस तकनीक
दुनिया के देशों में बेहिसाब ताक़त की होड़ एक ज़माने में एटॉमिक हथियारों को लेकर ज्यादा रही है. इसके बाद के दौर में बैलिस्टिक मिसाइलों की ताक़त के मुजाहिरे पर ज़ोर रहा. क्योंकि बैलिस्टिक मिसाइलें ही एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक एटमी हथियारों को लाद कर उससे टारगेट को भेदने में सक्षम थीं. शक्तिशाली देशों के बीच इस होड़ का भी एक थ्रेशहोल्ड आया और अब इससे एक क़दम आगे एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम में तकनीकी तौर पर कौन कितना सक्षम है इसकी होड़ लगी है.



दरअसल बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही ख़त्म करने की इस आधुनिक तकनीक में सक्षमता ही, आज के दौर में दुश्मन पर भारी पड़ने की सबसे बड़ी ताक़त बन गई है।


आसमान में रूस का नया 'शिकारी'
रूस ने गुरुवार को अपने नए एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण कर अमेरिका को जवाब दिया है. इस क्षेत्र में पहले से मज़बूत रुस ने, परीक्षण के तुरंत बाद वाशिंगटन पर अपनी क्षमताओं को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने का आरोप भी लगाया है.  दुनिया की महाशक्तियों में शुमार रुस ने अपनी आसमानी ताक़त और बढ़ा ली है. 
पुतिन के इशारे पर रुस ने अपने नए आधुनिक एंटी बैलेस्टिक मिसाइल का किया है सफल परीक्षण. रूस के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि कजाखस्तान में सैरी शगन परीक्षण रेंज से उसने अपने नए एंटी बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. जिसमें इस नए मारक हथियार ने नकली टारगेट को नेस्तानबूद कर दिया.



कजाखस्तान में सैरी शगन परीक्षण केन्द्र में यह मिसाइल परीक्षण रूस की नई यलगार है. एयरोस्पेस फोर्सेज और मिसाइल डिफेंस ट्रूप्स इसे लेकर परीक्षण स्थल तक पहुंची. इसे मानकों पर कसा गया और फिर काउंटडाउन के साथ तय वक्त पर फायर हुआ. पलक झपकते रूस के इस एंटी बैलेस्टिक मिसाइल ने टारगेट को भेद दिया. 


पुराना महारथी है रुस
दरअसल रूस इस टेक्नीक में सबसे पुराना महारथी है. शीत युद्ध के दौर में जब एटॉमिक हथियारों की होड़ तेज़ थी. तब बैलिस्टिक मिसाइलों से पूरी दुनिया पर परमाणु हमलों का खतरा मंडरा रहा था. तब रुस ने ऐसे मिसाइल हमलों से बचने के लिए 1962-63 में ही दुनिया की पहली एंटी बैलिस्टिक डिफेंस प्रणाली विकसित कर अमेरिका को अपनी ताक़त दिखाई थी.


रुस ने अमेरिका को दिया जवाब 
इस तकनीक में रुस और अमेरिका की ताज़ा होड़ इस बात से समझी जा सकती है, कि पिछले हफ्ते ही अमेरिका ने अपने नए एंटी बैलिस्टिक मिसाइल SM-3 Block ll A का मार्शल द्वीप से सफल परीक्षण किया था.अब इस नए एंटी बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण के बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने इस सफल परीक्षण का वीडियो जारी किया. पिछले महीने ही रूस ने एक और मिसाइल डिफेंस सिस्टम का परीक्षण किया था, जो अब रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज में शामिल है.


अमेरिका के एंटी बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण से जुड़ी पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं


अमेरिका पर रुस का जुबानी वार
अपनी ताक़त बढ़ाने के बाद रूस ने पलटवार करते हुए वाशिंगटन पर सैन्य क्षमता को लेकर गलत जानकारी फैलाने का आरोप भी लगाया है. यानी रुस की शिकायत है कि तकनीक के मामले में वो अमेरिका से भारी पड़ता है जबकि अमेरिका खुद को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है.



जाहिर है इस आरोप के पीछे, वजह अमेरिका से रूसी होड़ ही है. अपने एंटी बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की वजह से सुर्खियों में रहने वाले रुस को ये नया डिफेंस सिस्टम और मज़बूती देगा इसमें कोई संदेह नहीं. साथ ही हथियारों के अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उसकी पूछ भी बढ़ेगी.


ये भी पढ़ें- कौन है अमेरिका की महिला बाहुबली, जिससे थर्राते हैं चीन और पाकिस्तान


देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा. नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-


Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN


iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234