पुतिन पर भारी बाइडेन की `होशियारी`! अब रूस पर वार करेगा अमेरिका?
यूक्रेन पर रूस के हमले को अमेरिका और उसकी अगुवाई वाले नाटो देशों ने महीने भर तक बिना कोई सैन्य प्रतिक्रिया दिए चुपचाप देखा. इस दौरान आग उगलती रूसी मिसाइलों की मार से यूक्रेन के 30 शहर जलकर खाक हो गए.
नई दिल्लीः यूक्रेन पर रूस के हमले को अमेरिका और उसकी अगुवाई वाले नाटो देशों ने महीने भर तक बिना कोई सैन्य प्रतिक्रिया दिए चुपचाप देखा. इस दौरान आग उगलती रूसी मिसाइलों की मार से यूक्रेन के 30 शहर जलकर खाक हो गए. अपनी जान बचाने के लिए लगभग 30 लाख यूक्रेनी नागरिक दर-बदर हो गए. यूक्रेन छोड़कर जिधर भी सिर छिपाने की उम्मीद दिखी, उधर चल पड़े.
इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की कोरी बातें यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का दिल जलाती रही. सवाल उठा कि आखिर नाटो का सदस्य बनाने का भरोसा देने वाला अमेरिका यूक्रेन की सैन्य मदद के लिए क्यों नहीं खड़ा हो रहा है?
सवाल यह भी कि जेलेंस्की की गुहार के बावजूद यूक्रेन को रूसी मिसाइलों की मार से बचाने के लिए अमेरिका क्यों नहीं यूक्रेन के एयर स्पेस को नो-फ्लाई जोन घोषित करने की हिम्मत दिखाई? इन सारे सवालों का जवाब यूक्रेन युद्ध का एक महीना गुजरने के बाद मिलने लगे हैं. क्योंकि बाइडेन के पोलैंड दौरे के साथ ही रूस की घेराबंदी का 'मिशन-57' का सीक्रेट एक्शन प्लान लीक हो चुका है.
लीक हुआ 'मिशन-57' का सीक्रेट प्लान!
'मिशन-57' के खुलासे के बाद ही ये सवाल उठ रहे हैं, क्या अमेरिका अब तक रूस के कमजोर पड़ने का इंतजार कर रहा था? नाटो ने एक दिन पहले जारी अपने अनुमान में कहा है कि चार हफ्तों की लड़ाई में रूस के 15 हजार सैनिक मारे जा चुके हैं और अब यूक्रेन में घुसे रूसी सैनिकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ रहा है.
वो अंदर से टूट रहे हैं और पहला मौका मिलते ही सरेंडर कर रहे हैं. नाटो के इसी अनुमान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन सीधे यूक्रेन से सटे देश पोलैंड पहुंच गए और उधर रूस के पास चल रहे नाटो देशों का युद्धाभ्यास तेज कर दिया गया.
रूस का एटमी बेड़ा, नाटो ने कसा घेरा!
बाइडेन की इसी होशियारी ने पुतिन की खोपड़ी में खलबली मचा दी. उन्हें इस कदर भड़का दिया कि पुतिन ने बिना देर उत्तरी अटलांटिक महासागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियों को रवाना कर दिया है. ये पनडुब्बियां समंदर में 500 मीटर की गहराई से परमाणु हमला करने की क्षमता रखती हैं.
उत्तरी अटलांटिक महासागर में ही यूरोप के कई देश हैं और नाटो की सेनाएं वहां युद्धाभ्यास कर रही हैं, वो इन रूसी परमाणु पनडुब्बियों की सीधी जद में हैं. यानी इशारा साफ है कि अमेरिका और उसकी अगुवाई वाले नाटो ने अगर रूस को कमजोर समझने की गलती की तो उत्तरी अटलांटिक महासागर की गहराई से रूस परमाणु हमला बोलने में देर नहीं करेगा.
यूएन में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोल्यांस्की ने दो टूक कह दिया है कि अगर नाटो देशों ने उकसाया तो रूस के पास परमाणु हमला करने का अधिकार है.
रूस ने अपनी हरेक परमाणु पनडुब्बी में सोलह-सोलह बैलेस्टिक मिसाइलों को तैनात कर रखा है और वो हाईअलर्ट मोड पर हैं. यानी इशारा मिलते ही एटोमिक प्रहार और अगर इनका मुंह खुला तो यूरोप से लेकर अमेरिका तक तबाही मचने में पांच मिनट का वक्त भी नहीं लगेगा.
क्या है अमेरिका का मिशन 57
लेकिन अमेरिका रूस की एटोमिक पनडुब्बियों की तैनाती को भी अब हल्के में लेता दिख रहा है और उसने यूक्रेन को मदद पहुंचाने के नाम पर मिशन 57 शुरू कर दिया है. मिशन-57 में नाटो के तीस देश और यूरोपियन यूनियन के 27 देश शामिल हैं.
रूस पर नकेल कसने के लिए ये आर्थिक प्रतिबंधों को तेज करने से लेकर सैन्य कार्रवाई की तैयारी भी करते दिख रहे हैं. इसी बात पर दुनियाभर में अटकलें तेज हैं कि बाइडेन ने पुतिन पर दबाव बनाने के लिए क्या सही वक्त को चुना है या फिर अमेरिका का ताजा दांव पुतिन की सनक को और बढ़ा सकता है?
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