शहबाज शरीफ बन सकते हैं पाकिस्तान के केयरटेकर पीएम, राष्ट्रपति ने दिया है ये आदेश
पाकिस्तान में केयर टेकर पीएम बनने में अड़ंगा लग सकता है. राष्ट्रपति ने शहबाज शरीफ और इमरान से केयरटेकर पीएम का नाम पूछा है. साथ ही अधिसूचना जारी करके कहा है कि पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति तक इमरान पद पर बने रहेंगे.
नई दिल्ली: पाकिस्तान में इन दिनों जबरदस्त सियासी उठापटक चल रही है. एक तरफ इमरान खान हैं, तो दूसरी ओर पूरा का पूरा विपक्ष खड़ा है. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब पाकिस्तानी संसद को भंग कर दिया गया है तो कार्यवाहक प्रधानमंत्री कौन बनेगा? पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि इमरान खान कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होने तक मुल्क के प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे.
फिलहाल पीएम की कुर्सी पर बने रहेंगे इमरान
अधिसूचना में कहा गया है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री कार्यवाहक प्रधानमंत्री की नियुक्ति होने तक पद पर बने रहेंगे. इससे पहले, कैबिनेट सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि ‘इमरान खान तत्काल प्रभाव से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद छोड़ते हैं.’
हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 94 के तहत राष्ट्रपति ‘अपने उत्तराधिकारी के प्रधानमंत्री का पदभार संभालने तक निवर्तमान प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने के लिए कह सकते हैं.’ राष्ट्रपति अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली (एनए) को भंग कर दिया है.
शहबाज को मिल सकती है पाकिस्तान की कमान
भले ही इमरान खान के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली में स्पीकर ने खारिज कर दिया हो, लेकिन संख्यबल का जिक्र करेंगे तो दूर-दूर तक इमरान के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है. विपक्ष के पास पूर्ण बहुमत का आंकड़ा है. ऐसे में सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने क्लीयर कर रखा है कि विपक्ष की तरफ से शहबाज शरीफ ही पीएम का चेहरा होंगे.
मतलब साफ है कि यदि राष्ट्रपति ने कार्यवाहक पीएम का चयन किया तो काफी हद तक संभावना है कि विपक्ष के पास नंबर ज्यादा है और वो शहबाज शरीफ को आगे करके कार्यवाहक पीएम नियुक्त कर सकता है.
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नेशनल असेंबली में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और खान की सिफारिश पर सदन भंग करने को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने का मामला पहुंच चुका है. रविवार को शीर्ष न्यायालय ने देश में मौजूदा राजनीतिक हालात पर स्वत: संज्ञान लिया था.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली (एनए) को भंग कर दिया है. इससे कुछ ही देर पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इमरान खान ने संसद के निचले सदन, 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में प्रभावी तौर पर बहुमत खो दिया था.
देश के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कदम अदालत के आदेश पर निर्भर होंगे. न्यायाधीश बंदियाल ने साथ ही इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई एक दिन के लिए स्थगित कर दी थी.
राष्ट्रपति और स्पीकर को जारी हुए नोटिस
उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने सप्ताहांत के बावजूद प्रारंभिक सुनवाई की तथा राष्ट्रपति अल्वी और नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष सूरी सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए. शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने से बचने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी थी.
इससे पहले, विपक्ष ने शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और सदन में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली को भंग किए जाने को चुनौती देने की अपनी पार्टी के फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने कहा, ‘हम उपाध्यक्ष के फैसले और प्रधानमंत्री की सलाह को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं.’
सुप्रीम कोर्ट बार के अध्यक्ष अहसान भून ने कहा कि प्रधानमंत्री और उपाध्यक्ष की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है और ‘संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.’
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने भी दायर की है याचिका
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी एक याचिका दायर कर अदालत से नेशनल असेंबली भंग करने के साथ-साथ उपाध्यक्ष के फैसले को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद यह संकट उत्पन्न हुआ.
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इससे प्रधानमंत्री खान को संसद को भंग करने के लिए देश के राष्ट्रपति को एक सिफारिश करने का मौका मिल गया, जो वह अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का कोई परिणाम आने तक नहीं कर सकते थे. संयुक्त विपक्ष आठ मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. देश की राजनीतिक स्थिति तब तक विपक्ष के पक्ष में थी जब तक कि खान यूक्रेन पर एक स्वतंत्र विदेश नीति का अनुपालन करने को लेकर अमेरिका द्वारा उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश की बात लेकर नहीं आए थे.
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