विदेशी शोध जहाजों से प्रतिबंध हटाएगा श्रीलंका, भारत के लिए बढ़ सकती है टेंशन
हिंद महासागर में चीनी रिसर्च जहाजों की लगातार बढ़ती आवाजाही को लेकर भारत ने चिंता व्यक्त की थी. भारत ने इन चीनी जहाजों के जासूसी जहाज होने का खतरा बताते हुए कोलंबो से आग्रह किया था कि वे ऐसे जहाजों को अपने सीपोर्ट पर डॉक करने की अनुमित न दें.
नई दिल्ली: श्रीलंका ने अगले साल यानी 2025 से अपने देश में विदेशी शोध जहाजों के आगमन पर बैन हटाने का फैसला लिया है. श्रीलंका का यह फैसला चीन के लिए हिमायत के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि चीनी जहाज रिसर्च के नाम पर पड़ोसी मुल्कों में जासूसी करते रहते हैं.
विदेश मंत्री ने दी बैन हटाने की जानकारी
श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी ने अपने जापान के दौरे पर इस प्रतिबंध हटाने की जानकारी दी. 'द हिंदू' में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक अली साबरी ने कहा,' हम अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम नहीं बना सकते हैं.' उन्होंने कहा कि उनका देश दूसरे देशों के बीच जारी विवाद को लेकर किसी का भी पक्ष नहीं लेगा.
भारत के कहने पर लगाया था बैन
बता दें कि हिंद महासागर में चीनी रिसर्च जहाजों की लगातार बढ़ती आवाजाही को लेकर भारत ने चिंता व्यक्त की थी. भारत ने इन चीनी जहाजों के जासूसी जहाज होने का खतरा बताते हुए कोलंबो से आग्रह किया था कि वे ऐसे जहाजों को अपने सीपोर्ट पर डॉक करने की अनुमित न दें. भारत की ओर से चिंता जाहिर करने के बाद ही श्रीलंका ने इस साल 2024 के जनवरी में अपने बंदरगाहों पर फॉरेन रिसर्च शिप के आने पर बैन लगा दिया था, हालांकि साल की शुरुआत में श्रीलंका ने अपने पोर्ट पर अपवाद के तहत एक चीनी जहाज को मंजूरी दी थी, लेकिन बैन जारी रखा था.
चीनी जहाजों को दी गई अनुमति
बता दें कि नवंबर 2023 तक दो चीनी जासूसी जहाजों को 14 महीने के अंदर श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की परमिशन दी गई थी. ये जहाज 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और कोलंबो बंदरगाह पर डॉक किया. इस जहाज के डॉक करने का मकसद समुद्र पर्यावरण रिसर्च था. श्रीलंका में इस जहाज के आगमन को लेकर अमेरिका ने चिंता जाहिर की थी.
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