नई दिल्लीः पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों तरफ से एक-दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं जिसमें दोनों पक्षों को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तानी सेना की चौकियों तक पर कब्जा कर लिया है. 


अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच दरार


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दोनों देशों की बीच संबंध इस स्तर पर पहुंच चुके हैं कि तालिबानी सरकार ने कह दिया है कि वो अंग्रेजों की ओर से खींची गई डूरंड लाइन को नहीं मानती है. इस पर पाकिस्तान ने जवाब दिया है कि अगर वे डूरंड लाइन को नहीं मानते तो वह भी अंग्रेजों की ओर से बनाए गए वखान कॉरिडोर को नहीं मानते हैं और उस पर अफगानिस्तान का कब्जा कभी स्वीकार नहीं करेंगे. इस वखान कॉरिडोर को अफगानिस्तान का सिर कहा जाता है.


तालिबान के हाथ लगी गाइडेड मिसाइल


इस कदर बिगड़े संबंधों के बीच तालिबान के हाथ गाइडेड मिसाइल मिलान कोंकुरसी (9M135) लगी है. तालिबान के रक्षा मंत्रालय का दावा है कि ये गाइडेड मिसाइल बख्तरबंद टैंकों, युद्धपोत और कम उड़ान वाले हेलिकॉप्टरों को नुकसान पहुंचा सकती है. इसे चलाने के लिए अफगानिस्तान के 13 सैनिकों ने ट्रेनिंग भी की है. उन्होंने एक महीने का व्यावसायिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया. 


ऐसे में समझा जा रहा है कि अगर पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान पर हमले किए जाते हैं तो ये गाइडेड मिसाइल तालिबान सरकार की क्षमताओं को काफी बढ़ा सकती है और पाकिस्तान को बड़े झटके दे सकती है.


अमेरिका छोड़कर गया है काफी हथियार


बता दें कि इससे पहले तालिबान ने दावा किया था कि उसके अंतरिम प्रशासन ने अफगानिस्तान से निकलने से पहले अमेरिकी सेना की ओर से क्षतिग्रस्त किए गए 70 सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों की मरम्मत की थी. सीएनएन के अनुसार, अमेरिका ने अफगानिस्तान में करीब 7 अरब डॉलर मूल्य के सैन्य उपकरण और हथियार छोड़े हैं, जो 16 वर्षों में पूर्व अफगान सरकार को सौंप दिए गए थे. तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद इस भंडार पर कब्जा कर लिया था.


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