नई दिल्ली. हर देश में जनसंख्या बढ़ने के अपने-अपने कारण होते हैं. लेकिन किसी देश में जनसंख्या कम हो रही हो तो उसके कारण सहज नहीं हो सकते और उस देश के लोग ही उन कारणों को बेहतर जान सकते हैं. अब ऐसा हो रहा है इटली के साथ. इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए इटली का चिंतित होना स्वाभाविक है. 1918 के बाद प्रथम बार ऐसा हुआ है कि इटली की जन्मदर में इतनी ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. 


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2019 में जनसंख्या रही माइनस में


इटली के लिए वास्तव में चिंताजनक स्थिति है. गया साल एक डरावना आंकड़ा दे कर गया है इटली के जनसंख्या विभाग को. वर्ष 2019 में इटली में पैदा होने वालों से मरने वालों की संख्या दो लाख ज्यादा थी.  शोचनीय स्थिति इसलिए भी है कि 102 साल बाद इटली में जन्म दर इतनी घटी है. इस साल इटली  में 4.35 लाख बच्चों ने जन्म लिया, जबकि इस दौरान 7.47 लाख लोगों की मृत्यु हुई.


इटली का भविष्य खतरे में है


यह उपशीर्षक तो है लेकिन यह वह वाक्य है जिसे खुद इटली के प्रधानमंत्री सेरजियो मात्तारेला ने देश की घटती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा है. इसमें एक ऐतिहासिक भय भी छुपा हुआ है. एक देश धीरे-धीरे अपने अस्तित्व के खात्मे की तरफ बढ़ रहा है. जबकि दुनिया भर में इसके विपरीत ही होता है. वजह बहुत गंभीर है. भारत की कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गाँधी का देश इटली जन्म दर के संकट से इस कदर जूझ रहा है कि 2019 में लगातार 5वें साल इटली में जन्मदर मृत्युदर से कम रही है.



 


2018 के मुकाबले पांच हज़ार कम रहा आंकड़ा 


इटली की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी आईस्टेट के अनुसार 2019 में जन्में बच्चों का आंकड़ा 2018 के मुकाबले 5,000 कम है. और इसी तरह मरने वालों की संख्या 2019 में 7.47 लाख थी जो कि 2018 के मुकाबले 14 हजार ज्यादा थी.


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