लंदन: आज हम आपको रूस के एक अद्भुत प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं, जब ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने के लिए उसमें प्लेन का जेट इंजन लगा दिया गया. इस प्रयोग का नाम था 'स्पीडी वैगन' लैबोरेट्री. 1960 के दशक में रूस ने यह प्रयोग हाई स्पीड ट्रेन बनाने के अमेरिकी प्रयास को टक्कर देने के लिए शुरू किया था, इसे सफल माने जाने के बावजूद 1975 में खत्म कर दिया गया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1970 तक, रूसी शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि याक-40 हवाई जहाज में उपयोग किए जाने वाले दो एआई-25 इंजन फिट करने से उन्हें न्यूयॉर्क सेंट्रल रेलवे की एम-497 परियोजना को टक्कर देने में मदद मिलेगी, जिसका कोडनेम "ब्लैक बीटल" है.


ट्रेन के ऊपर लगा था जेट इंजन
इस प्रयोग में जेट इंजन ट्रेन के ऊपर लगाया गया था. यह प्रयोग सफल रहा और ट्रेन 220 मील (354 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ी.


बुलेट ट्रेन से भी तेज
स्पीडी वेगन की यह रफ्तार बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा थी. बता दें कि बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है.
Kalininsky कैरिज वर्क्स ने 60 के दशक में भविष्य की दिखने वाली ट्रेन को डिजाइन करना शुरू कर दिया था, और 1975 में इसे सफल मान लेने के बाद परियोजना को बंद कर दिया गया था.अक्टूबर 1970 में आधिकारिक तौर पर इसका अनावरण किया गया था, और हालांकि ब्लैक बीटल की तुलना में धीमी थी, यह जापान की पहली बुलेट ट्रेन शिंकानसेन से तेज थी.


क्यों बंद हुई परियोजना
यूरेशियन टाइम्स ने बताया कि ट्रेन सोवियत रेलवे के कुछ सार्वजनिक हिस्सों पर चलती थी, लेकिन अंततः यह निर्धारित किया गया था कि गैसोलीन इंजन बहुत ही महंगे थे.कथित तौर पर वैगन के 15 मॉक-अप मॉडल बनाए गए थे क्योंकि परीक्षण एक पवन सुरंग में किया जाना था. हालांकि, परियोजना का एकमात्र ज्ञात अवशेष सेंट पीटर्सबर्ग स्क्रैप यार्ड में वैगन के रूप में आता है.

यह भी पढ़िएः Cancel Train 10 Feb: रेलवे ने आज रद्द की 370 ट्रेनें, शनिवार को भी कैंसल रहेंगी ये ट्रेनें


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.