नई दिल्ली: पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है और दुनिया को कोरोना वायरस की महामारी देने के लिए उसका मित्र चीन जिम्मेदार है. सम्पूर्ण विश्व में कोरोना के प्रकोप से एक लाख लोगों की जान जा चुकी है.


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 कई रिपोर्ट्स में बताया गया है  कि चीन की साजिश के कारण कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया और लाखों लोग इसके शिकार हो चुके हैं. इसी वजह से अब चीन को दुनिया भर में अलग थलग करने और उससे सम्बंध समाप्त करने पर कई देश विचार कर रहे हैं.  


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अमेरिका चीन से चल रहा है नाराज


आपको बता दें कि कई बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहा है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कोरोना के मामले पर चीन ने समय रहते दुनिया को सच नहीं बताया जिससे आज अमेरिका समेत 200 से भी अधिक देश इसका प्रकोप झेल रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रम्प उस पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी भी कर रहे हैं.


ब्रिटेन में भी उठी चीन के खिलाफ आवाज


ब्रिटेन में भी चीन पर कठोर कार्रवाई करने की आवाज उठा रही हैं. कई नेता ब्रिटिश सरकार से इस धोखेबाज देश से संबंध तोड़ने का दबाव डाल रहे हैं. ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का मानना है कि उनके देश को चीन के साथ संबंधों का दोबारा मूल्यांकन करने की जरूरत है. वे चाहते हैं हाई-टेक तथा रणनीतिक उद्योग में चीनी निवेश पर नियंत्रण होना चाहिए.


बता दें कि ब्रिटिश कूटनीतिज्ञ और चीन में काम कर चुके चार्ल्स पार्टन का कहना है कि लंदन-पेइचिंग के रिश्ते पर दोबारा विचार की जरूरत है क्योंकि चीन इसे दीर्घ अवधि के लिए पश्चिमी देशों के साथ प्रतियोगिता के रूप में देखता है.


चीन पर नाराज हैं ब्रिटिश नागरिक और मीडिया


एक अंतरराष्ट्रीय अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने दावा किया है कि वह महामारी से सफलतापूर्वक निपटा है और अब वह अपनी वन-पार्टी मॉडल के बचाव में उतरेगा, वहीं खुफिया एजेंसियों का मानना है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अन्य मंत्रियों को यथार्थवादी सोच अपनानी होगी और उन्हें विचार करना होगा कि ब्रिटेन अब चीनी संबंध पर किस प्रकार से प्रतिक्रिया दे. 


अब सवाल यह उठता है कि क्या ब्रिटेन डिजिटल कम्युनिकेशन और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसे हाई-टेक कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना चाहता है और या फिर अपनी विभिन्न यूनिवर्सिटीज में चीनी छात्रों की छंटाई करेगा.


आपको बता दें ब्रिटेन के गृहमंत्री प्रीति पटेल, रक्षा मंत्री बेन वॉलेस, संसद संसद में लीडर ऑफ हाउस जैकब रीस-मॉग भी चीन को संदेह की नजर से देखते हैं. ब्रिटेन का कई निवेश न्यूक्लियर पावर और टेलिकॉम क्षेत्र में हो रहे थे. हालांकि, जब पीएम थेरेसा मे ने पदभार ग्रहण किया था तो उन्होंने चीनी जनरल न्यूक्लियर पावर ग्रुप के इन्वेस्टमेंट की समीक्षा के आदेश दिए.