UNSC में भारत को स्थायी सीट मिलने की राह हुई आसान? एलन मस्क के बाद अमेरिका ने भी किया समर्थन
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर पैरवी की है. उनके इस बयान का अमेरिका ने भी अपना समर्थन दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि वॉशिंगटन ने यूएनएससी समेत संयुक्त राष्ट्र के अन्य संस्थानों में भी सुधार की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि हम सुधारों का समर्थन करते हैं.
नई दिल्लीः टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर पैरवी की है. उनके इस बयान का अमेरिका ने भी अपना समर्थन दिया है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि वॉशिंगटन ने यूएनएससी समेत संयुक्त राष्ट्र के अन्य संस्थानों में भी सुधार की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि हम सुधारों का समर्थन करते हैं.
हम सुधार के हिमायती हैंः अमेरिका
वेदांत पटेल ने कहा, अमेरिका राष्ट्रपति ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी टिप्पणी में पहले भी बात की है. सचिव ने भी इस बारे में जिक्र किया है. हम निश्चित रूप से यूएनएससी समेत संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं में सुधार के हिमायती हैं. ऐसा करके हम 21वीं सदी की दुनिया को प्रतिबिंबित कर सकते हैं.
मस्क ने की थी भारत के लिए पैरवी
दरअसल जनवरी 2024 में एलन मस्क ने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट नहीं मिलने को बेतुका कहा था. उन्होंने कहा था कि जरूरत से ज्यादा ताकत वाले देश इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं में सुधार की जरूरत है. समस्या यह है कि जिनके पास ज्यादा शक्ति है वे उसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. भारत के पास यूएनएससी में स्थायी सीट नहीं है जबकि वह दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. अफ्रीका को भी सामूहिक रूप से एक स्थायी सीट दी जानी चाहिए.
5 देशों के पास है स्थायी सदस्यता
बता दें कि भारत भी काफी समय से सुरक्षा परिषद में अपने लिए स्थायी सीट की मांग कर रहा है ताकि विकासशील दुनिया के हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व किया जा सके. यूएनएससी में 5 स्थायी और 10 गैर स्थायी सदस्य देश हैं. गैर स्थायी सदस्य देश दो साल के लिए कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं. वहीं स्थायी देशों के पास वीटो पावर है. ये पांच स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन हैं.
यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है क्योंकि उसके पास वीटो पावर है. विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन वीटो करके भारत को यह शक्तिशाली पद देने की राह में बाधाएं पैदा कर सकता है.
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