नई दिल्ली: पिछले कुछ महीनों से खाड़ी देशों के हालात काफी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. लगातार किसी न किसी घटना के बाद हालात बद से बद्तर होते चले जा रहे हैं. पहले सउदी अरामको तेल रिफाइनरी पर किया गया हमला तो बाद में तुर्की का उत्तरी सीरिया पर हमला और अब ईरान के कुद्स फोर्स के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी का अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा जाना.


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स्थितियां अब यूं बन आईं हैं कि लोग खाड़ी में किसी अप्रिय घटना फिर चाहे वह युद्ध ही क्यों न हो, उसकी बातें करने लगे हैं. ऐसे में जरूरी है यह समझना कि अगर दोनों देशों में युद्ध होते हैं तो इससे विश्व पर और खास कर भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?


हमले में मारे गए सुलेमानी और फिर बिगड़ गए खाड़ी के हालात


जिस दिन इराक के बगदाद एयरपोर्ट पर अमेरिकी ड्रोन ने बम बरसाए और ईरान के दूसरे सबसे शक्तिशाली जनरल कासिम सुलेमानी स्वर्ग सिधार गए, उस दिन से ही दोनों देशों के बीच युद्ध की खबरों ने जोर पकड़ लिया.



दरअसल, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पलटवार करने के इशारे कर दिए हैं. इसके बाद से ही यह चिंता जताई जा रही है कि आखिर बौखलाया ईरान क्या कुछ करने जा रहा है. 


क्या असर पड़ेगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर ?


मालूम हो कि ईरान विश्व का पांचवा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. वैसे तो अमेरिकी प्रतिबंध के बाद से भारत सहित तमाम देशों ने ईरान से तेल आयात करना बंद कर दिया है लेकिन कुछ क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग अब भी जारी है. युद्ध की स्थिति में भारत के फॉरेन एक्सचेंज पर काफी प्रभाव पड़ सकता है.



जाहिर है ऐसे हालातों के बाद आर्थिक मंदी के बढ़ जाने की भी पूरी संभावना है. खाने-पीने के दाम भी बढ़ सकते हैं. यहां तक की खाड़ी देशों में भारतीय प्रवासियों का बिजनेस प्रभावित हो सकता है. तेल रिफाइनरी में काम कर रहे लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ सकती है और वापस भारत आने के बाद जो दबाव होगा सो अलग.


कब-कब वैश्विक बुरे हालातों का भारत पर पड़ा है असर ?


ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है जब इस तरह के हालात बन सकते हैं या संभावना भी है. इससे पहले बांग्लादेश विभाजन के वक्त के हालात, फिर इराक पर अमेरिकी हमले के बाद और सीरिया युद्ध के समय में भी भारत पर उसके असर को साफ तौर पर देखा और महसूस किया गया. इस बार भारत खुद ही मंदी से जूझ रहा है.


ऐसे में अगर युद्ध के हालात जो फिलहाल उत्पन्न हो गए हैं, वे एक रूप धारण कर लेते हैं तो अर्थव्यवस्था बैठ जाने के आसार भी हैं. 


भारत-अमेरिका संबंध भी उतर सकते हैं ढलान से नीचे


भारत-अमेरिकी संबंध भी अब 100 बिलियन डॉलर से अधिक के हो गए हैं. युद्ध की स्थिति में व्यापारिक और सामरिक रिश्तों में गिरावट भी देखी जा सकती है. इसके अलावा भारत अमेरिका से सबसे ज्यादा हथियारों का जखीरा खरीदता है.



युद्ध जैसे हालातों से यह भी काफी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में भारत अमेरिका-ईरान से बातचीत कर यह कोशिश करे की अशांति वाले हालात न हों तो वह एक बेहतर कदम हो सकता है.