नई दिल्ली. आज की तारीख में वैश्विक स्तर पर मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली बात लागू नहीं होती है, क्योंकि सबकी गतिविधियों का असर सभी पर पड़ता है. अगर अमरीका ने ईरान पर गुस्सा दिखाया है तो दुनिया में चौधरी बनने की चाहत रखने वाले चीन ने तुरंत रूस से इस बात की शिकायत की है. 



ईरान के अतिरिक्त आत्म-विश्वास का कारण यही है 


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ईरान की रूस और चीन से मैत्री प्रबल हो या न हो, चीन और रूस की अमरीका से मैत्री बिलकुल प्रबल नहीं है. ऐसी स्थिति में ईरान पर भारी हमले जैसी किसी भी अमरीकी गतिविधि का विरोध होगा और उसका जवाब तुरंत ईरान की तरफ से उसके मित्र बन कर चीन और रूस देंगे. ज़ाहिर है कि इस पलटवार का पहला हिस्सा अमेरिका को इन देशों की चेतावनी होगी.


दुनिया में ईरान तेल की एक महाशक्ति है 


ईरान की तरफ से अमरीका पर आँख टेढ़ी करना और जरूरत पढ़ने पर उससे दो-दो हाँथ करना, दोनो ही फायदेमंद है रूस और चीन के लिए. एक तो दुनिया के दरोगा पर नकेल कसने का मौक़ा मिलेगा, वहीं ईरान की मदद करके तेल के रूप में बड़ा लाभ-स्रोत भी हासिल होगा. और मज़े की बात ये है कि इस बात को अमेरिका भी समझता है. इसलिए ट्रम्प से समझदारी की उम्मीद की जा सकती है. 



वैश्विक संतुलन की चार शक्तियों में चौथा है भारत 


वैश्विक स्तर पर अगर चौधरी चीन है तो दरोगा अमरीका है. वहीं दुनिया की तीसरी महाशक्ति रूस भी बाहुबली है, ये सब जानते हैं. लेकिन इन तीनों के मुकाबले भारत इनसे अलग हो कर भी एक चौथी महाशक्ति के रूप में वैश्विक राजनीति के धरातल पर अस्तित्वमान है, यह भी अब सब मानने लगे हैं.   


चीन के विदेशमंत्री ने बात की रूस में 


चीनी विदेश मंत्री ने अवसर को हाँथ से जाने नहीं दिया और अमरीका विरोधी व्यूह तैयार करना शुरू कर दिया है. ईरान तो साथ है ही, रूस भी साथ आ जाएगा तो अमरीका को दबाया जा सकता है. क्योंकि विश्व-युद्ध का खतरा अमरीका भी नहीं उठाएगा. चीनी विदेश मन्त्री ने रूस से बात करते हुए कहा कि यह अमेरिका का 'सैन्य दुस्साहस' है जो स्वीकार करने योग्य नहीं है!


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