क्या है `आधुनिक गुलामी`, संयुक्त राष्ट्र ने कहा-2021 में 5 करोड़ लोग इसकी गिरफ्त में रहे
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहा गया है कि 2021 में पांच करोड़ लोग आधुनिक दासता के पीड़ित रहे. इनमें से दो करोड़ 80 लाख लोगों को बंधुआ मजदूरी और दो करोड़ 20 लाख लोगों को जबरन शादी में धकेल दिया गया.
संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी का अनुमान है कि 2021 में दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोग ‘आधुनिक गुलामी’ के पीड़ित रहे. एजेंसी ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत और मिस्र जैसे देशों में जबरन विवाह का खतरा बढ़ा दिया है.
क्या है रिपोर्ट, क्या है आधुनिक गुलामी?
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ), अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह वॉक फ्री द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट 'द ग्लोबल एस्टीमेट्स ऑफ मॉडर्न स्लेवरी' में कहा गया है कि 2021 में पांच करोड़ लोग आधुनिक दासता के पीड़ित रहे. इनमें से दो करोड़ 80 लाख लोगों को बंधुआ मजदूरी और दो करोड़ 20 लाख लोगों को जबरन शादी में धकेल दिया गया.
'दुनिया के हर क्षेत्र में जबरन शादियां होती हैं'
रिपोर्ट में कहा गया, 'दुनिया के हर क्षेत्र में जबरन शादियां होती हैं. जबरन विवाह के मामलों में से अनुमानित तौर पर लगभग दो-तिहाई-एक करोड़ 42 लाख लोग एशिया और प्रशांत क्षेत्र से हैं. इसके बाद अफ्रीका में 14.5 फीसदी (32 लाख) और यूरोप तथा मध्य एशिया में 10.4 फीसदी (23 लाख) मामले हैं.'
अरब देशों में होती है सबसे ज्यादा जबरन शादी
इसमें कहा किया गया कि क्षेत्रीय आबादी के हिसाब से जबरन शादी के मामले अरब देशों में प्रति हजार लोगों पर सर्वाधिक 4.8, इसके बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्र में प्रति हजार पर 3.3 हैं. अमेरिका में जबरन शादी के मामले सबसे कम यानी प्रति हजार लोगों पर 1.5 हैं.
कोविड-19 ने बढ़ाया जोखिम
रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 महामारी ने प्रत्येक क्षेत्र में जबरन शादी के जोखिम को बढ़ा दिया है. इसमें कहा गया, ‘जहां डेटा उपलब्ध है-अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, यमन, जॉर्डन, सेनेगल, युगांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बाल विवाह एवं जबरन विवाह के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है.'
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्षों में आधुनिक दासता के पीड़ित लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है और 2016 की तुलना में 2021 में आधुनिक दासता के पीड़ित लोगों की संख्या एक करोड़ अधिक रही. इसमें कहा गया कि बंधुआ मजदूरी के ज्यादातर मामले निजी क्षेत्र में पाए जाते हैं.
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