नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा से जहां खुशहाल और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए साझा प्रतिबद्धता को मजबूती मिलेगी, वहीं दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच गहरी साझेदारी की पुष्टि भी होगी. व्हाइट हाउस में मोदी के औपचारिक स्वागत समारोह से कुछ घंटे पहले प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह टिप्पणी की.


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21 बंदूकों की दी जाएगी सलामी
राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन साउथ लॉन में एक आधिकारिक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करेंगे और उन्हें 21 बंदूक की सलामी दी जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और प्रथम महिला के निमंत्रण पर 21 से 23 जून तक अमेरिका की यात्रा पर हैं. बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां संवाददाताओं से कहा, "यह यात्रा अमेरिका और भारत के बीच गहरी साझेदारी तथा परिवार और मित्रता के मधुर संबंधों की पुष्टि करेगी, जो अमेरिकियों और भारतीयों को परस्पर जोड़ते हैं."


जानिए क्या बोला व्हाइट हाउस
उन्होंने कहा, "यह यात्रा स्वतंत्र, मुक्त, खुशहाल और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता और रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा एवं अंतरिक्ष सहित हमारी रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ाने के हमारे साझा संकल्प को मजबूत करेगी." क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां स्वतंत्र, मुक्त और खुशहाल हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देती रही हैं.


अधिकारी ने कहा कि दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख सुरक्षा प्रदाताओं के रूप में, अमेरिका और भारत हिंद-प्रशांत एवं अन्य जगहों पर वैश्विक कल्याण के लिए संयुक्त शक्ति के रूप में भागीदारी बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में भारत, अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक भागीदार होगा.


हिंद-प्रशांत और ‘क्वाड’ सहित विभिन्न मंचों पर सक्रिय अंतरराष्ट्रीय भूमिका निभाने को लेकर भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के साझा नजरिये की रक्षा और उसे आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका से जुड़ने की नयी और बढ़ती इच्छा को दर्शाती है. ‘क्वाड’ संगठन के सदस्यों में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.


इन मुद्दों पर होगा फोकस
व्हाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एक मजबूत समुद्री लोकतंत्र के तौर पर, हम अपने पारस्परिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करते हैं. जब हम एआई के भविष्य, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए लचीली आपूर्ति शृंखला बनाए जाने, जलवायु संकट का मुकाबला, हमारे कार्यबल के भविष्य और वैश्विक स्वास्थ्य, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के बारे में सोचते हैं.... तो अभी और भविष्य में भी भारत से अधिक महत्वपूर्ण कोई भागीदार नहीं है.


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