कीव. रूस की सेना ने घोषणा की है कि वह यूक्रेन के खेरसॉन क्षेत्र में नीपर नदी के पश्चिमी तट से पीछे हट रही है. सितंबर में इस क्षेत्र को रूस में अपने में विलय कर लिया था. यूक्रेन में रूसी सेना के शीर्ष कमांडर जनरल सर्गेई सुरोविकिन ने बुधवार को रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू से कहा कि खेरसॉन तथा पश्चिमी तट के अन्य क्षेत्रों में विभिन्न सामानों की आपूर्ति करना असंभव है. इस पर शोइगू पीछे हटने और पूर्वी तट पर रक्षा पंक्ति खड़ा करने के उनके प्रस्ताव पर राजी हो गये. खेरसॉन से अपनी सेना का हटना रूस के लिए एक बड़ा झटका है. यही एकमात्र ऐसी प्रांतीय राजधानी थी जिसपर रूसी सैन्यबलों ने आठ महीने की लड़ाई के दौरान कब्जा किया था.


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इस हफ्ते के शुरू में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि कब्जा किए गए सभी क्षेत्रों को वापस लौटाया जाना रूस के साथ किसी भी वार्ता की पूर्व शर्त है. इससे पहले बुधवार को यूक्रेन के गांवों व कस्बों में भीषण लड़ाई और गोलाबारी देखने को मिली. दोनों ही सेनाओं पर विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ने का दबाव है. 


क्या बोला यूक्रेन का राष्ट्रपति कार्यालय?
यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि 24 घंटे में कम से कम नौ आम नागरिक मारे गए और 24 अन्य घायल हो गए. उसने रूस पर देश के दक्षिण-पूर्व में आठ क्षेत्रों पर हमला करने के लिए विस्फोटक ड्रोन, रॉकेट, भारी तोपखाने और विमानों का उपयोग करने का आरोप लगाया.


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोहराया- युद्ध रास्ता नहीं
यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश एक बार फिर दोहराया है. जयशंकर ने एससीओ मीटिंग में कहा कि जैसा कि यह युद्ध का दौर नहीं है. सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक दूसरे पर इतनी निर्भर हैं कि कोई भी युद्ध के असर से नहीं बच सकता है. 


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