नई दिल्लीः ये वो समय है जब इस सदी के सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम दिया गया था. 9/11. जब न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर समेत अमेरिका की 4 जगहों पर आतंकी हमला किया गया, अमेरिका के साथ साथ पूरी दुनिया आज उस दिन को याद कर रही है. हम भी उस दिन को याद कर रहे हैं, लेकिन अफगानिस्तान और बाकी दुनिया, अमेरिका के दोगलेपन को भी याद कर रही है और तालिबानी आतंकी आज अपने नायकों को याद कर के विजय पर्व मना रहे हैं.


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अमेरिका ने छेड़ी थी आतंक के खिलाफ जंग
11 सितम्बर 2001 के उस खौफनाक मंज़र अमेरिकी तो आने वाले कई सौ सालों तक याद रखेंगे. इस आतंकी हमले का बदला लेने के लिए अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ दी. हमले के 9 दिन बाद तब अमेरिकी राष्ट्रपति रहे जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने जो ऐलान किए थे,



अमेरिका का वो मकसद आज कहां है? जॉर्ज बुश के 20 सितम्बर 2001 के बयान से समझिए. 


तब के राष्ट्रपति बुश ने किए थे ये ऐलान
बुश ने कहा था 'हम फंडिंग रोककर आतंकियों को भूख से तड़पाएंगे' जबकि आज वही आतंकी अफगानिस्तान में सरकार बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'आतंकियों को एक-दूसरे के खिलाफ कर देंगे' और आज अफगानिस्तान में अलग-अलग आतंकी सगठन एक हो गए हैं. बुश ने कहा कि 'आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह भगाएंगे' जबकि अमेरिका को खुद 20 साल बाद अफगानिस्तान से भागना पड़ा. 


पाकिस्तान जैसे मुल्क खुलकर दे रहे आतंक का साथ
बुश ने कहा कि 'आतंकी तब तक भागेंगे, जब तक पनाह की भीख नहीं मांगते' जबकि आज आतंकियों का अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा है, बुश ने ये भी कहा कि 'हम ऐसे मुल्कों को छोड़ेंगे नहीं तो आतंकवाद को पालते हैं' और आज भी पाकिस्तान जैसे मुल्क खुलकर आतंकियों की मदद कर रहे हैं, और अमेरिका खामोश है. बुश ने ये भी कहा कि 'दुनिया मुख़्तलिफ मुल्कों को फैसला लेना है कि वो हमारे साथ हैं या आतंकियों के साथ?' और आज अमेरिका खुद उस आतंकी सरकार का साथ दे रहा है.


यही सच है और अमेरिका इस सच से दूर नहीं भाग सकता. जिस अलकायदा ने अमेरिका पर हमला किया, उसे पनाह देने वाले तालिबान को अमेरिका ने 20 साल बाद ना सिर्फ अपना पार्टनर बना लिया है बल्कि उनके बदलने का सर्टिफिकेट भी जारी कर रहा है. लेकिन क्या वाकई तालिबान और तालिबानी बदल चुके हैं?


तालिबान मना रहा है विजय दिवस
ये तस्वीर देखिए. देखिए ये है तालिबान. जो काबुल की सड़कों पर ऐसे पोस्टर लगाता है, जिसमें तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की जवानी की फोटो लगी है और साथ में लगी है हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी की फोटो और पश्तो में लिखा है कि दोनों जिहाद के विजय नायक.



आज ये मुकाम हासिल करने के लिए बधाई. बात साफ है, 9/11 के दिन तालिबान विजय दिवस मना रहा है. वो भी तब जब अमेरिका गम मना रहा है. अमेरिका के लिए इससे शर्मनाक क्या होगा कि जिस तालिबान को वो हराना चाहता था, 20 साल बाद ना सिर्फ उससे हार मान चुका है, बल्कि आतंकवादियों की मर्ज़ी के आगे झुका हुआ है. 


तमाशा देख रहा है अमेरिका
अफगानिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में आए दिन हर्ष फायरिंग सुनी जाती है. 9/11 के ज़ख़्म पर ये नमक छिड़कने जैसा है, ये पूरी दुनिया के लिए पैगाम है कि आतंकवाद की इस सोच से मुकाबला अकेले किसी एक मुल्क की ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. काबुल में लगे ये पोस्टर अमेरिका के चेहरे पर एक बहुत बड़ा तमाचा.


शर्म आनी चाहिए अमेरिका को. अफगानिस्तान के ही कुछ मुट्ठी भर लोग अभी भी तालिबानियों से जंग लड़ रहे हैं और अमेरिका बाहर खड़ा तमाशा देख रहा है. उनकी मदद तो छोड़िए, अमेरिका उसी तालिबान को अपना पार्टनर बना रहा है जो उसी के चेहरे पर हर दूसरे दिन तमाचा मारता है.


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