बढ़ा दी गई सहमति से सेक्स करने की उम्र, जानें- किस देश के सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक देश के कानून मंत्री और वहां के संसद के पास `संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखा जाए तो सभी बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाला कानून बनाने के लिए 12 महीने यानि एक साल का समय दिया गया है.
हरारेः जिम्बाब्वे की सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से सेक्स की उम्र को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अब यहां कोई भी व्यक्ति 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ सहमति से भी सेक्स नहीं कर सकता हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए इस फैसले को लेकर देश के मानवाधिकार समूहों ने स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला ऐसे समय में सुनाया है जब लड़कियां कम उम्र में सेक्स करने के बाद प्रेगनेंट हो जाती है और मजबूरी में स्कूल छोड़ देती हैं. लड़कियों के स्कूल छोड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे थे ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक देश के कानून मंत्री और वहां के संसद के पास 'संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखा जाए तो सभी बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाला कानून बनाने के लिए 12 महीने यानि एक साल का समय दिया गया है.
दो महिलाओं ने दायर की थी याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में लड़कियों से जुड़े मामलों को लेकर दो महिलाओं ने याचिका दायर की थी. इन दोनों महिलाओं की शादी कम उम्र में कर दी गई थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले का लोग स्वागत इसलिए कर रहे हैं कि इस कानून से कम उम्र की लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाने, कम उम्र में प्रेगनेंट होने और बाल विवाह के मामलों में कमी देखने को मिल सकती है.
कम उम्र में लड़कियों की शादी को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि कोरोना के बाद से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसका कारण है कि कोरोना संकट के दौरान स्कूल बंद थे और लोगों की गरीबी बढ़ गई. ऐसे में जिन परिवारों में बेटियां थीं उनकी शादी कर दी गई.
महिलाओं की वकील का बयान
महिलाओं की ओर से पेश हुई वकीलत तेंदई बिटी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा, ''ये जरूरी है कि हमें बच्चों खासकर लड़कियों की रक्षा करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बच्चों का शोषण पूरी तरह तो नहीं बंद कर पाएगा लेकिन इस कानून के जरिए इसमें कमी जरूर आएगी.''
वहीं लड़कियों को अधिकार दिलाने के लिए अभियान चलाने वाले समूह कैट्सवे सिस्टाहुड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मील का पत्थर बताया. हालांकि, जिम्बाब्वे के कानून मंत्री सहमति से सेक्स के लिए उम्र बढ़ाने के पक्षधर नहीं थे. पिछले साल के अंत में उन्होंने संसद में कहा था कि आजकल के ज्यादातर बच्चे कम उम्र में ही परिवक्व हो जाते हैं और वो यौन रूप से भी जल्दी सक्रिय हो रहे हैं.
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