Aaj Ka Itihas 31 August 2024: 31 अगस्त साल 1995, आज से ठीक 29 साल पहले चंडीगढ़ स्थित सीएम दफ्तर में रोजाना की तरह चहल-पहल थी, तभी प्रदेश के मुखिया सरदार बेअंत सिंह के आने की सूचना मिली और पुलिस हरकत में आ गई. सीएम की बुलेट प्रूफ एंबेसडर कार पोर्टिको में लग चुकी थी. इसी बीच सीएम कमांडोज के घेरे के बीच आए. सीएम अभी कार में बैठ भी नहीं पाए थे कि तभी अचानक जोरदार धमाका हुआ. तेज आवाज, चारों तरफ धूल का गुबार और जब ये कम हुआ तो देखा कि सचिवालय परिसर में खून ही खून हो चुका था, वहां मौजूद लोगों के चीथड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे. पंजाब की कमान संभालने वाला शख्स विस्फोट की भेंट चढ़ चुका था.


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यह पहली ऐसी वारदात थी जब देश में किसी सीएम को निशाना बनाया गया. बेअंत सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेताओं में से एक और पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे. आतंकवाद का दमन, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण यह उनके कार्यकाल का मूल आधार था. इनका नाम उन नेताओं में शुमार था, जो सिर्फ पार्टी या किसी राजनीतिक दल तक सीमित नहीं थे, बल्कि देश और अपने राज्य के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थे.पंजाब उन दिनों अलगाववाद की आग में झुलस रहा था. सीएम के रूप में सरदार बेअंत सिंह काफी सख्त थे. वे अलगाववाद के खिलाफ थे. उनकी दर्दनाक मौत की सबसे बड़ी वजह भी यही थी.


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खालिस्तानी अलगाववादियों ने बेअंत सिंह की कार को एक मानव बम से उड़ा कर पूरे देश को हिला कर रख दिया था. धमाके की गूंज दिल्ली तक पहुंची. बेअंत सिंह पंजाब के एक प्रमुख राजनेता थे, जिन्होंने 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. उनके कार्यकाल के दौरान पंजाब में कई बड़ी घटनाएं हुईं. 


बता दें, बेअंत सिंह के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद का दमन हुआ था. बेअंत सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिससे पंजाब में शांति और स्थिरता आई. इसके अलावा आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई. बेअंत सिंह ने पंजाब के आर्थिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और उद्योगों को प्रोत्साहित करना शामिल था.


बेअंत सिंह ने सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी कई कदम उठाए, जिनमें शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार किया. साल 1922 में पैदा हुए सरदार बेअंत सिंह ने बहुत छोटी उम्र में देश सेवा का संकल्प लिया था. पहले वे भारतीय सेना से जुड़े, लेकिन जनसेवा को बेचैन बेअंत सिंह ने सेना छोड़ने का फैसला किया और राजनीति में कदम रख दिया. इसके अलावा बेअंत सिंह के जीवन और कार्यकाल से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं, जो उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व को दर्शाते हैं. 


(आईएएनएस)