राकेश मल्ही/ऊना: हिमाचल प्रदेश ऊना जिला (una farmer) को कृषि प्रधान जिला कहा जाता है. यहां के किसान सबसे ज्यादा कृषि पर निर्भर रहते हैं. जिले में 31 हजार हेक्टयर भूमि पर किसान मक्के की फसल उगाते हैं, लेकिन पिछले तीन साल से मक्के की फसल को फॉल आर्मी बर्म (Fall armyworm) नाम का कीड़ा लगने से किसानो को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था. जिले में अब काफी किसान मक्के की फसल को छोड़कर चावल की फसल (Rice crop) उगाने लग पड़े हैं. 


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चावल की खेती से होता मुनाफा 
किसानों का कहना है कि चावल की फसल में लागत कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिल जाता है. किसान चावल की खेती से काफी खुश हैं. मक्की की खेती छोड़ अब वह चावल और सब्जियों को उगा रहे हैं. किसानों ने बताया कि पिछले कई सालों से मक्की की फसल को लग रहे कीड़ों के कारण उनको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था. एक ओर तो उन्हें बाजार से मक्के के बीज भी काफी महंगे मिलते हैं वहीं, दूसरी ओर जब फसल तैयार होने लगती है तो फॉल आर्मी वर्म कीट लगने से फसल को काफी नुकसान पहुंचता है.


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किसानों की आर्थिक स्थिति हो रही मजबूत
किसानों ने बताया कि महंगे बीज डालकर और लेबर का खर्च उठाकर उन्हें मुनाफे की जगह नुकसान ही उठाना पड़ रहा था. इसलिए उन्होंने मक्के की बजाए चावल की खेती करना  शुरू कर दिया है. चावल की खेती में फसल का दाम भी उचित मिलता है साथ ही चावल की खेती में फसल की पैदावार भी ज्यादा होती है. उन्हें मक्के की फसल के मुकाबले चावल की खेती में ज्यादा मुनाफा दिख रहा है. इससे उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में भी सहायता मिल रही है.


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क्या हैं अधिकारी?
वहीं, कृषि विभाग का भी यही मानना है कि मक्के की फसल को कीड़ा लगने के कारण कुछ एरिया में किसान चावल और सब्जी की खेती की ओर मुड़े हैं, क्योंकि पिछले तीन-चार साल में मक्के की फसल को फॉल आर्मी वर्म कीट द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा था. अधिकारी के मुताबिक जिला ऊना में 1900 हेक्टेयर भूमि पर चावल की फसल उगाई गई है.


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