विपन कुमार/धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश में किसान अपनी फसलों को बंदरों और जंगली जानवरों से बचाते-बचाते परेशान हो गए हैं. इतना ही नहीं, कुछ किसान तो खेतीबाड़ी छोडने तक को मजबूर हो गए हैं. जहां जंगली जानवरों और बंदरों का प्रकोप है ऐसे क्षेत्रों में गेंदे की खेती करने का ट्रायल किया जा रहा है. एग्रो इंडस्ट्री ने इसके लिए काम करना भी शुरू कर दिया है. जिला कांगड़ा में 300 कनाल भूमि पर जंगली गेंदे की खेती कराई जाएगी. इसके लिए शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के खड़ीबही और धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के ढगवार को चुना गया है.


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जंगली गेंदे की खेती से होगा फायदा 
किसानों का कहना है कि धान, गेहूं और मक्के की फसल से इतनी कमाई नहीं होती, जितनी कमाई जंगली गेंदे की खेती से हो सकता है. जानकारी के अनुसार, एक कनाल भूमि पर जंगली गेंदे की खेती से डेढ़ से 2 लीटर तेल मिल सकता है. एक कनाल में मक्की, गेहूं या धान की बिजाई करने से किसान मात्र 4 से 5 हजार रुपये की कमाई कर पाते हैं, जबकि एक कनाल भूमि से जंगली गेंदे की खेती डेढ़ से 2 लीटर तेल मिल सकता है, जिसकी प्रति लीटर मार्केट वेल्यू 7 हजार से 14 हजार रुपये है और डिमांड भी काफी ज्यादा है. 


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किन्नौर में सेब की खेती से होती है एक लाख की कमाई
बात करें, किन्नौर की तो यहां का सेब और नकदी फसल (Cash crop) के साथ किसान जुड़े हुए हैं. किन्नौर और कांगड़ा सहित अन्य जिलों की परिस्थितियों में काफी अंतर है. यही वजह है कि किन्नौर में एक बीघा जमीन में कैश क्रॉप से किसान 1 से डेढ़ लाख की कमाई कर लेते हैं, जबकि कांगड़ा सहित अन्य जिलों में यही कमाई 5 से 10 हजार रुपये तक रहती है. 


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