पर्यटकों की सुरक्षा के लिए प्रशासन Alert, कमांडो को दी जाएगी मॉक ड्रिल जैसी ट्रेनिंग
परवाणू के टिम्बर ट्रेल में फंसे लोगों का रेसक्यू करने के लिए एयर फोर्स को अलर्ट पर रखा था लेकिन उसकी आवश्यकता नहीं पड़ी. लगभग तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जिसके बाद से प्रशासन सतर्क हो गया.
शिमला: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में रोपवे ट्रॉली में तकनीकी खराबी आने की वजह से 11 पयर्टक हवा में फंस गए थे. लगभग तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जिसके बाद से प्रशासन सतर्क हो गया.
डिजास्टर मैनेजमेंट प्रिंसिपल सचिव ने बताया कि रोपवे में अगर किसी भी प्रकार की घटना घटित होती है तो हिमाचल प्रदेश में एक NDRF की टीम है और 3 कम्पनियां है. साथ ही SDRF की टीम भी है.
SDRF की स्टेट टीम में 354 लोगों को ट्रेन किया गया है. स्थिति को टैकल करने के लिए ट्रेंड होते है, ओमकार शर्मा ने बताया की स्थिति को पहले भांपा जाता है. नेशनल लेवल है तो NDRF की टीम स्थिति को टैकल करती है. स्टेट का है तो SDRF की टीम रेस्क्यू करती है.
परवाणू के टिम्बर ट्रेल में फंसे लोगों का रेसक्यू करने के लिए एयर फोर्स को अलर्ट पर रखा था लेकिन उसकी आवश्यकता नहीं पड़ी.
रोपवे अलर्ट प्रोग्राम स्पेसिफिकेली नहीं कराए जातें है. मॉक ड्रिल जैसी कई ट्रेनिंग कमांडोस को दी जाती हैं. पूरी तरह से उन्हें ऑपरेशन्स के लिए तैयार किया जाता है.
परिवहन सचिव ने बताया कि शिमला में 15 जगहों पर रोपवे स्टेशन लगाए जाएंगे, ऐसा प्लान तैयार किया जाएगा कि बाहर से जितनी गाड़ियां आएंगी शिमला के बाहर ही लगाई जाएंगी, और शिमला में सैलानी रोपवे से सफर करेंगे.