धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के कार्यक्रम में पहुंचे बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर
Dharamshala: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहुंचे, यहां उन्होंने सोमवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया.
Dharamshala News: केंद्रीय विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ठ्रीय संगोष्ठी का सोमवार को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किया. आधुनिक समाज दिशा एवं चुनौतियां वांछित प्रतिउत्तर स्वामी विवेकानंद, विषय पर आधारित संगोष्ठी का शुभारंभ धर्मशाला कालेज के सभागार में किया गया. इस संगोष्ठी में देश के जाने-जाने विद्वान भाग ले रहे हैं.
रविवार को संगोष्ठी का ऑनलाइन सत्र आयोजित किया गया, जबकि सोमवार को संगोष्ठी का विधिवत शुभारंभ किया गया. संगोष्ठी के मुख्यातिथि राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि संगोष्ठी का विषय यह था कि आज के परिप्रेक्ष्य में स्वामी विवेकानंद का जीवन कैसे हमारा मार्गदर्शन कर सकता है. संगोष्ठी का यह विषय बहुत ही अच्छा है. इस पर चिंतन होने की आवश्यकता थी, मुझे पूरी उम्मीद है कि संगोष्ठी के प्रतिभागी इस विषय को लेकर देश और समाज के सामने इसका निचोड़ रखेंगे, जिसका पूरे देश को लाभ होगा. विशेषकर युवा पीढ़ी को इसका लाभ मिलने वाला है.
युवाओं में राष्ट्र भावना को प्रेरित करने के लिए उन्हें प्रेरणा देने के लिए इस तरह के कार्यक्रम हर जगह होने चाहिए, जिसका युवा पीढ़ी को लाभ होने के साथ देश को भी लाभ होगा. संगोष्ठी के संयोजक डॉ. गिरीश गौरव ने कहा कि संगोष्ठी में देश के जाने-माने विद्वान भाग ले रहे हैं. संगोष्ठी में 323 प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया है. रविवार को संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया, जबकि सोमवार को संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन बिहार के महामहिम राज्यवाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किया.
रविवार को देश भर से 135 प्रतिभागी संगोष्ठी में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे. संगोष्ठी आयोजन का मुख्य उद्देश्य आजादी के बाद या आजादी से पहले जो अकादमिक जड़ता आ गई है, उसे तोडक़र कहीं न कहीं भारत के अनूरूप, अकादमिक माहौल का एक प्रयास हो रहा है.
स्वामी विवेकानंद बहुत बड़े सामाजिक चिंतक व समाज वैज्ञानिक रहे हैं. उनकी बातों को आज समाज में उपस्थित पूरे वैश्विक स्तर पर जो चुनौतियां हैं. संगोष्ठी में उन्हें ढूंढने का प्रयास किया जाएगा. इसको लेकर पैनल डिस्कशन भी होगी, जिसमें बड़े-बड़े विद्वान और शोधार्थी अपनी बातों को रखेंगे, जिसका जो निचोड़ निकलेगा, वो कहीं न कहीं पूरे समाज को एक दिशा देगा.