Sirmour News in Hindi: हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद कर्मचारी एवं अधिकारी संघ की हड़ताल लगातार जारी है.  जिसकी वजह से पंचायत स्तर पर कार्य ठप पड़ गए हैं.  ऐसे में भाजपा हड़ताली कर्मचारियों के समर्थन में उतर आई है.  सिरमौर भाजपा प्रवक्ता मेलाराम शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार ने इन कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ भी वादा खिलाफी की है. 


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उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कैबिनेट की पहली बैठक में उनकी मांग को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन 10 महीने बाद भी मांग पूरी नहीं हुई है जिसकी वजह से संघ को कामकाज छोड़कर हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है. 


बता दें, जिला परिषद कर्मचारी एवं अधिकारी संघ की हड़ताल की वजह से प्रदेश की सभी पंचायत में काम पड़े हुए हैं. ना विकास कार्यों को गति मिल रही है ना ही लोगों के निजी काम हो पा रहे हैं.  जिला परिषद कर्मचारी एवं अधिकारी संघ उनके पंचायती राज विभाग में विलय की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. 


दरअसल चुनाव से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इन कर्मचारियों एवं अधिकारियों को आश्वासन दिया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में उनकी मांग को पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 10 महीने का समय होने के बावजूद कर्मचारियों की मांग पर कोई कार्यवाही नहीं की है. 


हालांकि, भाजपा सरकार के समय भी संघ ने कई बार काम कर छोड़कर हड़ताल की थी, लेकिन भाजपा सरकार ने भी उनकी मांग को तपावज्जो नहीं दी थी. उधर सरकार बदलने के बाद अब भाजपा कर्मचारी के पक्ष में आ गई है. 


सिरमौर जिला भाजपा प्रवक्ता एवं बीडीसी संगड़ाह के पूर्व अध्यक्ष मेलाराम शर्मा ने जिला परिषद कर्मचारीयों की हड़ताल को लेकर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है.  उन्होंने कहा है कि जिला परिषद कर्मचारी विशेष कर पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और तकनीकी सहायकों की हड़ताल के कारण पूरे प्रदेश में विकास पूर्ण रूप से ठप हो गया है. 


इसके लिए उन्होंने प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.  मेलाराम शर्मा ने कहा कि गत वर्ष जब इन्हीं कर्मचारियों ने स्वयं की सेवाओं को ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज विभाग में विलय करने की मांग को लेकर हड़ताल की थी तो उस वक्त मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इन हड़ताली कर्मचारियों के बीच में जाकर यह घोषणा की थी कि उनकी सरकार आते ही पहली कैबिनेट में इन कर्मचारियों की सेवाओं को स्थाई रूप से ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज विभाग में समायोजित किया जाएगा, लेकिन 10 माह का कार्यकाल बीत जाने के उपरांत भी अभी तक इस सरकार ने उनकी सेवाओं के प्रति कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई. 


उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि यदि इन हड़ताली कर्मचारियों मांग को जल्दी नहीं सुलझाया गया तो प्रदेश में विकास प्रक्रिया ठप होने के कारण विकास के मामले में हिमाचल प्रदेश बहुत पीछे चला जाएगा.