Shimla News: हिमाचल की राजधानी को जोड़ने वाला चंडीगढ़-शिमला फोरलेन सोलन के चक्की मोड़ के पास तीन दिन से बंद है. जिसके वजह से रूट्स डायवर्ट किया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

Himachal News: हिमाचल को जल्द मिलेंगे 700 नर्स और 200 डॉक्टर्स- स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल्य


बता दें, शिमला व सोलन से चंडीगढ़ की ओर जाने वाले हैवी व्हीकल कुमारहट्टी-नाहन-कालाअंब होते हुए चंडीगढ़ भेजे जा रहे हैं.  इन्हें  लगभग  डेढ़ से दो घंटे का समय लग रहा है. लाइट मोटर व्हीकल सोलन-धर्मपुर-कसौली-परवाणू होते हुए भेजा जा रहा है जिसमें लगभग 20 किलोमीटर का ज्यादा  लग रहा है. 


ऐसे में हाइवे निर्माण सवालों के घेरे में रहा. हर बरसात में लैंडस्लाइड के कारण मलबा आने से रास्के बंद हो जाते हैं,  लेकिन इस बार कई सालों बाद देखा गया कि अल्टरनेटिव रूट से ट्रैफिक भेजा जा रहा है और 3 दिन से nh5 बंद है. 


सवालों के घेरे में नेशनल हाईवे इसलिए आता है क्योंकि और असाईटिंफिक रूप से पहाड़ों की 90 डिग्री की तर्ज पर कटिंग की गई है.  स्थानीय लोगों का यह आरोप है कि प्लेन एरिया के हिसाब से कटिंग की गई है. ड्रेनेज सिस्टम नहीं है जिसके कारण यह समस्या हर बरसात में सामने आती है. 


शिमला नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर एवं माकपा नेता टिकेंद्र पंवर ने भी अवैज्ञानिक ढंग से की गई कटिंग को देखते हुए NHAI अधिकारियों और परवाणु-सोलन फोरलेन का निर्माण करने वाली कंपनी जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स के खिलाफ परवाणू थाना में FIR दर्ज कराई है.  उन्होंने भी कटिंग पर सवाल उठाए हैं. 


एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बसित ने कहा की 3 दिन से एनएच5 सोलन के चक्की मोड़ के पास 40 मीटर जमीन धंसने के कारण बंद है. लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि लोगों को असुविधा न हो. 


नेशनल हाईवे अथॉरिटी के रीजनल मैनेजर अब्दुल बासित ने कहा नेशनल हाईवे फोरलेन का निर्माण जब किया गया तो लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए किया गया था,  लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण सिस्टम भी फेल हो जाता है.  उन्होंने कहा कि पूर्व में जो कमियां रह गई हैं या यह कह लें कि अब टेक्नोलॉजी जिस तरह से आगे बढ़ रही है. उसे सीख रहे हैं. जिन्हें अब प्रयोग करने का प्रयास कर रहे हैं. 


हाल ही में हिमाचल प्रदेश में जितने नेशनल हाईवेज बनाए गए हैं उनकी कटिंग पर जो सवाल लगातार उसके आए थे उसे लेकर एक कमेटी का गठन भी किया गया है. जिसमें आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक और आईआईटी मंडी के वैज्ञानिक स्टडी करेंगे और कमियों को सुधारने का प्रयास किया जाएगा. एनएचआई की टीम मौके पर बैठी हुई है और लगातार कार्य जारी है.  अधिकारी भी मौके का निरीक्षण कर रहे हैं.