ज्ञान प्रकाश/पांवटा साहिब: बाधाएं चाहें कितनी भी हों, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था को कम नहीं कर सकतीं. लगभग 12 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार तीर्थ पर आजकल ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है, जहां भूस्खलन और बारिश से पैदा हुईं तमाम दिक्कतों के बावजूद रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिरगुल महाराज के चरणों में नतमस्तक होने पहुंच रहे हैं. 


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आसान नहीं है चूड़धार पर पहुंचना
मौसम चाहे खराब हो या फिर सामान्य सिरमौर जिले की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार पर पहुंचना आसान नहीं होता है. मौसम ठीक होने के बावजूद यहां चढ़ाई करने में परेशानियां आती हैं. श्रद्धालुओं को मार्ग में कई जगह खड़ी चढ़ाई और बारिश का सामना भी करना पड़ रहा है. बारिश होने पर तापमान बेहद कम हो जाता है और कड़ाके की ठंड पड़ती है, लेकिन मन में प्रभु दर्शन की लालसा और मुख में शिरगुन महाराज के जयकारों से रास्ता और मुश्किलें छोटी होती जाती हैं.


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लगभग 18 किलोमीटर करना पड़ता है पैदल सफर
कोई नाच गाकर, तो कोई जयकारे लगाकर लगभग 18 किलोमीटर का पैदल सफर तय करके बेहद ठंडी चूड़धार चोटी पर पहुंच रहा है. जन्माष्टमी और गोगापीर पर्व के अवसर पर चूड़धार तीर्थ पर काफी भीड़ जुटी हुई है. बताया जा रहा है कि यहां लगभग 7 हजार श्रद्धालु तीर्थ पर पहुंचे हैं. कहा जाता है कि यहां मंदिर के पास पवित्र बावड़ी में स्नान कर आराध्या देव शिरगुल महाराज की आराधना करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. 


मंदिर समिती की ओर से की जाती है खाने-पीने की व्यवस्था
सर्दियों के बाद चूड़धार तीर्थ के कपाट खुलने के बाद शिमला, सोलन, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार बाबर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. तीर्थ की मनोरमाता और नैसर्गिक सौंदर्य को देखने के लिए अब दिल्ली, पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं. मंदिर समिति की ओर से यहां श्रद्धालुओं के रुकने और भोजन की खास व्यवस्था की जाती है. 


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बता दें, मंदिर समिति और मुख्य पुजारी ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि तीर्थ की पवित्रता को बनाए रखने में सहयोग करें. तीर्थ पर गंदगी ना फैलाएं, आचरण और व्यवहार सही रखें. साथ ही व्यवस्था बनाए रखने में भी समिति का सहयोग करें.


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