Rampur Cloudburst News: रामपुर क्षेत्र के तहत झाकड़ी से सटे गांव समेज़ में बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को किया. सीएम पीड़ितों और प्रभावितों के परिजनों से मिले और उन्हें आश्वासन दिया कि प्रदेश सरकार आपके साथ हर पल खड़ी है. प्रदेश सरकार हर सहायता लोगों को मुहैया करवाएगी. 


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इस दौरान 7वे राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष एवं विधायक रामपुर नंद लाल, अध्यक्ष जिला परिषद शिमला चंद्र प्रभा नेगी, उपायुक्त कुल्लू तोरुल एस रवीश, पुलिस अधीक्षक कुल्लू एस कार्तिकेयन सहित अन्य गणमान्य लोग और अधिकारी उपस्थित रहे. 



प्रभावितों के साथ हमारी पूरी संवेदनाएं - शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने समेज में प्रभावित स्कूलों के पुनर्निर्माण को लेकर उप निदेशक शिक्षा विभाग को निर्देश दिए है कि जल्द प्रस्ताव निदेशालय भेजा जाए. शिक्षा मंत्री ने  स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया है कि बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी.  यहां पर फिलहाल स्कूलों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश जारी है. उन्होंने कहा कि घटना के प्रभावितों के साथ हमारी पूरी संवेदनाएं है. 


लापता लोगों की तलाश जारी
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन करने के लिए सारी टीमें एक जुट होकर कार्य कर रही है, लेकिन बादल फटने से मलबा काफी आया हुआ है. खड्ड में पत्थर काफी अधिक है. यहां पर और भी कई चुनौतियां हैं, लेकिन हमारी टीम सुबह से लेकर देर शाम तक सर्च ऑपरेशन के तहत काम कर रही है, लेकिन अभी तक लापता लोगों के बारे में कोई भी सुराग हाथ नहीं लग पाया है.


पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने कहा कि पुलिस बल भारी तादाद में यहां पर तैनात किया गया है.  स्थानीय लोगों की मदद करने में पुलिस प्रयासरत है.


सुबह से चल रहा रेस्क्यू 
बता दें, शुक्रवार को सुबह 6 बजे से रेस्क्यू कार्य चल रहा है. करीब 12 बजे भारी बारिश शुरू हो गई, ऐसे में कुछ देर के लिए रेस्क्यू कार्य रोक दिया. करीब एक घंटे के बाद फिर से रेस्क्यू को शुरू किया गया. हालांकि, रेस्क्यू अभियान के दूसरे दिन भी समेज आपदा की चपेट से लापता हुए लोगों का कोई सुराग नहीं लग पाया है. 33 लोग शिमला क्षेत्र के रहने वाले और तीन लोग कुल्लू क्षेत्र के रहने वाले लापता है.


समेज में रहने वाले अजय को जब घटना के बारे में जैसे ही पता चला तो तुरंत अपने कमरे से निकल कर आसपास पड़ोस के लोगों को बचाने में लग गए. अजय के रिश्तेदार मुंशी राम पुंडीर ने जानकारी देते हुए बताया कि उसने करीब पांच लोगों की जान बचाई है. अगर वो उन पांच लोगों को जगाता नहीं तो उनका बचना नामुमकिन था. 


परिवार के 16 सदस्य लापता
बक्शी केदारटा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस हादसे में उनके परिवार से करीब 16 लोग लापता हुए है. घटना से तीन दिन पहले ही उन्होंने अपनी बेटी से बात की थी. उनकी बेटी का 4 साल का बेटा और 8 साल की बेटी भी लापता है. उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने ऐसा कोई मंजर नहीं देखा है.


अनीता ने परिवार सहित मंदिर में गुजारी रात
समेज गांव से संबंध रखने वाली अनीता ने बताया कि घटना की रात वह गहरी नींद में सोई हुई थी. अचानक रात को साढ़े बारह बजे के करीब घर हिला और बाहर काफी शोर, आवाज़ें आ रही थीं.  तब वह भी अपने बच्चों के साथ घर से बाहर आ गई और यहां से भाग कर ऊपर मंदिर में चले गए. हमने पूरी रात मंदिर में ही गुजारी. जब सुबह यहां आए तो कुछ नहीं बचा था. अब जीने का क्या फायदा जब अपना कोई रहा ही नहीं.


स्कूल देखने पहुंचे बच्चें
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला समेज में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र कार्तिक ने बताया जिस दिन यह घटना हुई. वह अपने परिवार वालों के साथ ही था. आसपास के सारे लोग एक जगह ही इक्कठे हो गए थे. हमने पूरी रात जाग कर ही बिताई. जब सुबह 6 बजे के करीब उजाला होने लगा तो हम स्कूल की तरफ आए तो निचली मंजिल पूरी पानी से भर गई थी. स्कूल के बाहर एक छोटा सा मंदिर है जो कि सुरक्षित है. मेरे बहुत से दोस्त जो स्कूल में पढ़ते थे वो लापता है. आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले कार्तिक ठाकुर ने कहा कि मेरे दोस्त अरुण, आरुषि, रितिका और राधिका थे. वो नहीं मिल रहे है.


राधिका दीदी को ढूंढते रहे बच्चे
स्कूली बच्चे कार्तिक, राखी, अर्णव और अश्वनी अपनी बड़ी दीदी राधिका को ढूंढते रहे. राधिका दीदी स्कूल के अधिकांश बच्चों की पसंदीदा थी. राधिका बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी. स्कूली बच्चों को जो होम वर्क मिलता था तो वह उसे बच्चों को पढ़ाती थी और याद करवाती थी. स्कूल के बच्चों ने कई जगह ढूंढा लेकिन राधिका का कोई भी सुराग नहीं लगा. बच्चों ने कहा कि राधिका दीदी की याद आ रही है. हमें अब कौन पढ़ाएगा.


प्रशासन कर रहा भोजन व्यवस्था
जिला प्रशासन ने घटना स्थल से कुछ मीटर की दूरी सरघा गांव में भोजन व्यवस्था केंद्र स्थापित किया है। यहां पर लोगों को भी मुफ्त में भोजन मुहैया करवाया जा रहा है। इसके साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हर सदस्य को यही भोजन करवाया जा रहा है।


पोकलोन की सहायता 
रेस्क्यू ऑपरेशन के दूसरे दिन बड़ी पोकलेन की सहायता ली गई. भारी पत्थर और मलबा होने के कारण पोकलेन की सहायता ली जा रही है. कई जगह तो पत्थर इतने भारी है कि पोकलेन की मदद से भी हटाया जाना मुश्किल है.


रिश्तेदारों के पास ही ठहर रहे अधिकतर प्रभावित
हादसे के अधिकतर प्रभावित अपने रिश्तेदारों के पास ही पिछले दो दिनों से रुक रहे है. हालांकि जिला प्रशासन ने बुशहर सदन में ठहरने की व्यवस्था की हुई है लेकिन लोग अपनों के पास रुकने को ही प्राथमिकता दे रहें है.


आर्मी ने लगाया मेडिकल कैंप
घटनास्थल पर आर्मी ने मेडिकल कैंप स्थापित किया है. जहां पर प्रभावितों सहित अन्य लोगों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है. इसके अलावा मरीजों को मुफ्त दवाइयां भी वितरित की जा रही है.


साठ फीट से अधिक मलबा
बादल फटने के कारण आई बाढ़ से खड्ड में 60 फीट से अधिक का मलबा बहा है. धीरे-धीरे पानी नीचे उतर कर पुराने स्वरूप में पहुंच गया है, लेकिन खड्ड के दोनों तरफ मलबे के निशान साफ दिख रहें है।


रिपोर्ट- संदीप, शिमला